Book Title: Agam 32 Devendrastava Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 18
________________ आगम सूत्र ३२, पयन्नासूत्र-९, देवेन्द्रस्तव' सूत्र - २५१-२५२ ___ इस कल्प में हरे, पीले, लाल, श्वेत और काले वर्णवाले पाँचसौ ऊंचे प्रासाद शोभायमान हैं । वहाँ सेंकड़ों मणि जड़ित कई तरह के आसन, शय्या, सुशोभित विस्तृत वस्त्र रत्नमय हार और अलंकार होते हैं। सूत्र - २५३ सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प में पृथ्वी की चौड़ाई २६०० योजन है । वो पृथ्वी रत्न से चित्रित है । सूत्र - २५४-२५५ वहाँ हरे, पीले, लाल, श्वेत और काले ऐसे ६०० ऊंचे प्रासाद शोभायमान हैं । सेंकड़ों मणिजड़ित, कई तरह के आसन-शय्या, सुशोभित विस्तृतवस्त्र, रत्नमय हार और अलंकार होते हैं। सूत्र-२५६-२५७ ब्रह्म और लांतक कल्प में पृथ्वी की चौड़ाई २४०० योजन है जो पृथ्वी रत्न से चित्रित होती है । सुन्दर मणि और वेदिका, वैडूर्य मणि की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त कईं तरह के प्रासाद इस विमान में होते हैं। सूत्र - २५८ वहाँ लाल, पीले और श्वेत वर्णवाले ७०० ऊंचे प्रासाद शोभायमान हैं। सूत्र-२५९-२६० शुक्र और सहस्रार कल्प में पृथ्वी की चौड़ाई २४०० योजन होती है वो पृथ्वी रत्न से चित्रित होती है । सुन्दर मणि और वेदिका, वैडुर्य मणि की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त ऐसे कई तरह के प्रासाद होते हैं। सूत्र-२६१ पीले और श्वेत वर्णवाले ५०० ऊंचे प्रासाद शोभायमान हैं। सूत्र - २६२ वहाँ सेंकड़ों मणिजड़ित कईं तरह के आसन, शय्या, सुशोभित विस्तृत वस्त्र, रत्नमय माला और अलंकार होते हैं। सूत्र - २६३-२६५ आणत-प्राणत कल्प में पृथ्वी की मोटाई २३०० योजन होती है । वो पृथ्वी रत्न से चित्रित होती है । सुन्दर मणि की वेदिका, वैडुर्य मणि की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त कईं तरह के वहाँ प्रासाद हैं । और शंख और हिम जैसे श्वेत वर्णवाले ९०० ऊंचे प्रासाद से शोभायमान हैं। सूत्र- २६६ ग्रैवेयक विमानों में पृथ्वी की मोटाई २२०० योजन होती है। सूत्र- २६७ उस विमान में सुन्दर मणिमय वेदिका, वैडूर्य मणि की स्तुपिका और रत्नमय अलंकार होते हैं । सूत्र - २६८ वहाँ शंख और हीम जैसे श्वेत वर्णवाले १००० ऊंचे प्रासाद शोभायमान हैं। सूत्र - २६९-२७२ पाँच अनुत्तर विमान में २१०० योजन पृथ्वी की चौड़ाई होती हो वो पृथ्वी रत्न से चित्रित है । सुन्दर मणि की वेदिका, वैडूर्य मणि की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त कई तरह के प्रासाद वहाँ हैं। और शंख और मुनि दीपरत्नसागर कृत् - (देवेन्द्रस्तव). आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 18

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