Book Title: Agam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Author(s): Aryarakshit, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 483
________________ ४३२ अनुयोगद्वारसूत्र जस्स सामाणिओ अप्पा संजमे णियमे तवे । तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥ १२७॥ जो समो सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु य । तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥ १२८॥ [५९९ (अ) प्र.] भगवन् ! नोआगमभावसामायिक का क्या स्वरूप है ? [५९९ (अ) उ.] आयुष्मन् ! जिसकी आत्मा संयम, नियम और तप में संनिहित —लीन है, उसी को सामायिक होती है, ऐसा केवली भगवान् का कथन है। १२७ जो सर्वभूतों-त्रस, स्थावर आदि प्राणियों के प्रति समभाव धारण करता है, उसी को सामायिक होती है, ऐसा केवली भगवान् ने कहा है। १२८ विवेचन— इन दो गाथाओं में सामायिक का लक्षण एवं उसके अधिकारी का संकेत किया है। संयम मूलगुणों, नियम–उत्तरगुणों, तप–अनशन आदि तपों में निरत एवं त्रस, स्थावर, रूप सभी जीवों पर समभाव का धारक सामायिक का अधिकारी है। जिसका फलितार्थ यह हुआ—संयम, नियम, तप, समभाव का समुदाय सामायिक है। इसीलिए समस्त जिनवाणी का सार बताते हुए आचार्यों ने इसकी अनेक लाक्षणिक व्याख्यायें की हैं १. बाह्य परिणतियों से विरत होकर आत्मोन्मुखी होने को सामायिक कहते हैं। २. सम अर्थात् मध्यस्थभावयुक्त साधक की मोक्षाभिमुखी प्रवृत्ति सामायिक कहलाती है। ३. मोक्ष के साधन सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र की साधना को सामायिक कहते हैं। ४. साम–सब जीवों पर मैत्री भाव की प्राप्ति सामायिक है। ५. सावद्ययोग से निवृत्ति और निरवद्ययोग में प्रवृत्ति सामायिक है। सामायिक के अधिकारी की संज्ञायें ५९९. (आ) जह मम ण पियं दुक्खं जाणिय एमेव सव्वजीवाणं । न हणइ न हणावेइ य सममणती तेण सो समणो ॥ १२९॥ णत्थि य से कोइ द्वेसो पिओ व सव्वेसु चेव जीवेसु । एएण होइ समणो, एसो अन्नो वि पजाओ ॥ १३०॥ [५९९ (आ)] जिस प्रकार मुझे दुःख प्रिय नहीं है, उसी प्रकार सभी जीवों को भी प्रिय नहीं हैं, ऐसा जानकर—अनुभव कर जो न स्वयं किसी प्राणी का हनन करता है, न दूसरों से करवाता है और न हनन की अनुमोदना करता है, किन्तु सभी जीवों को अपने समान मानता है, वही समण (श्रमण) कहलाता है। १२९ ___जिसको किसी जीव के प्रति द्वेष नहीं है और न राग है, इस कारण वह सममन वाला होता है। यह प्रकारान्तर से समन (श्रमण) का दूसरा पर्यायवाची नाम है। १३० विवेचन— पूर्व गाथाओं में सामायिक के अधिकारी का कथन किया था और इन दोनों गाथाओं द्वारा उनके

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