Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi Author(s): Devvachak, Madhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana Publisher: Agam Prakashan SamitiPage 11
________________ सदैव सन्त-सतियांजी की सेवा करना भी आपने अपने जीवन का ध्येय बनाया है। आज स्थानकवासी समाज के कोई भी सन्त मुनिराज नहीं हैं जो आपके नाम व आपकी सेवाभावना से परिचित न हों। आपके लघभ्राता सर्वश्री बादलचन्दजी, सायरचन्दजी भी धार्मिक वत्ति के हैं। वे भी प्रत्येक सतकार्य में आपको पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। आपके स्व. अनुज श्री रिखबचंदजी की भी अपने जीवनकाल में यही भावना रही है। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रतनकंवर भी धर्मश्रद्धा को प्रतिभूति एवं तपस्विनी हैं। परिवार के सभी सदस्य धार्मिक भावना से प्रभावित हैं। विशेषतः पुत्रवधएँ आपकी धार्मिक परम्परा को बराबर बनाये हुए हैं। आपने जन-कल्याण की भावना को दृष्टिगत रखते हुए निम्नलिखित ट्रस्टों को स्थापना की है जो उदारता से समाज सेवा कर रहे हैं। (1) श्री एस. रतनचन्द चोरड़िया चेरिटेबल ट्रस्ट (2) श्री सिमरथमल गटूबाई चोरड़िया चेरिटीज़ ट्रस्ट आपका परिवार स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म. सा., पूज्य युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी म. सा. का अनन्य भक्त है। आपने श्रीयागम-प्रकाशन-समिति से प्रकाशित इस ग्रन्थ के प्रकाशन में अपना उदार सहयोग प्रदान किया है। एतदर्थ-समिति प्रापका आभार मानती है एवं आशा करती है कि भविष्य में भी आपका सम्पूर्ण सहयोग समिति को मिलता रहेगा। [ मन्त्री [10] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 253