Book Title: Agam 30A Gacchayaro Sattamam Painnayam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 6
________________ गाहा-५० ॥ - - ॥ [५०] पजलंति जत्थ धगधगस्स गुरूणावि चोइए सीसा । राग-द्दोसेण वि अनुसएणं तं गोयम __! न गच्छं [५१] गच्छो महानुभावो तत्थ वसंताण निज्जरा विउला । सारण-वारण-चोयणमाईहिं न दोसपडिवत्ती [५२] गुरुणो छंदणुवित्ती सुविनीए जियपरीसहे धीरे । नवि थद्धे नवि लुद्धे नवि गारविए न विगहसीले ।। [५३] खंते दंते गुत्ते मुते वेरग्ग-मग्ग-मल्लीणे । दसविह-सामायारी - आवस्सग संजमुज्जुत्ते ।। [५४] खर-फरुस-कक्कसाएऽनिट्ठदुट्ठाए निठुरगिराए । निब्भच्छण निद्धाडणमाईहिं न जे पठस्संति ।। [५५] जे य न अकित्तिजणए नाजसजणए नऽकज्जकारी य । न पवयण-उड्डाहकरे कंठग्गय-पाणसेसेऽवि [५६] गुरूणा कज्जमकज्जे खर-कक्कस-दुट्ठ-निठुरगिराए । भणिए तहत्ति सीसा भणंति तं गोयमा ! गच्छं [५७] दूरुज्झिय पत्ताइसु ममत्तए निप्पिहे सरीरेऽवि । जायम-जायाहारे बायालीसेसणा-कुसले ।। [५८] तंपि न रूव-रसत्थं न य वण्णत्थं न चेव दप्पत्थं । संजमभर-वहणत्थं अक्खोवंगं व वहणत्थं ।। [५९] वेयण वेयावच्चे ईरियठाए य संजमाए | तह पाणवत्तियाए छठें पुण धम्मचिंताए || [६०] जत्थ य जेट्ठ-कनिट्ठो जाणिज्जइ जेट्ठवयण-बहुमानो । दिवसेण वि जो जेट्ठो न हीलिज्जइ स गोयमा ! गच्छो [६१] जत्थ य अज्जाकप्पं पाणच्चाए वि रोरदब्भिक्खे । न य परिभुंजइ सहसा गोयम ! गच्छं तयं भणियं ।। [६२] जत्थ य अज्जाहिं समं थेरा वि न उल्लविंति गयदसणा | न य झायंती थीणं, अंगोवंगाई तं गच्छं [६३] वज्जेह अप्पमत्ता अज्जासंसग्गि अग्गि-विससरिसं | अज्जानुचरो साहू लहइ अकित्तिं खु अचिरेण [६४] थेरस्स तवस्सियस्स व बहुस्सुयस्स व पमाणभूयस्स । अज्जा-संसग्गीए जन-जंपणयं हविज्जा हि ।। [६५] किं पुन तरूणो अबहुस्सुओ य न य वि हु विगिट्ठतवचरणो । अज्जा-संसग्गीए जन-जंपणयं न पाविज्जा ? || [६६] जइ वि सयं थिरचित्तो तहा वि संसग्गिलद्धपसराए । अग्गिसमीवे व घयं विलिज्ज चित्तं खु अज्जाए ।। [दीपरत्नसागर-संशोधितः] [5] [३०|१|गच्छायारो]Page Navigation
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