Book Title: Agam 30A Gacchayaro Sattamam Painnayam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 4
________________ गाहा-१६ ? || [१६] बालाणं जो 3 सीसाणं, जीहाए उवलिंपए | न सम्मं मग्गं गाहेइ, सो सूरी जाण वेरिओ || [१७] जीहाए विलिहंतो न भद्दओ सारणा जहिं नत्थि । दंडेण वि ताडंतो स भद्दओ सारणा जत्थ ।। [१८] सीसोऽवि वेरिओ सो उ, जो गुरुं न विबोहए | पमाय-मइराघत्थं, सामायारी विराहयं ।। [१९] तुम्हारिसावि मुनिवर ! पमायवसगा हवंते जइ पुरिसा | तेण को अन्नो अम्हं आलंबन हुज्ज संसारे [२०] नाणंमि दंसणम्मि य चरणमि य तिसु वि समयसारेसु । चोएइ जो ठवेठं गणमप्पाणं य सो य गणी ।। [२१] पिंडं उवहिं च सिज्जं उग्गम-उप्पायणे-सणासुद्धं । चारित्तरक्खणट्ठा सोहिंतो होइ स चरित्ती ।। [२२] अपरिस्सावी सम्म समपासी चेव होइ कज्जेसु । सो रक्खड़ चक्खू पि व सबाल-वुड्ढाउलं गच्छं ।। [२३] सीयावेइ विहारं सुहसीलगुणेहिं जो अबुद्धीओ । सो नवरि लिंगधारी संजमजोएण निस्सारो ।। [२४] कुल-गाम-नगर-रज्जं पयहिअ जो तेस् कुणइ अ ममत्तं । सो नवरि लिंगधारी संजमजोएण निस्सारो [२५] विहिणा जो उ चोएड. सत्तं अत्थं च गाहए । सो धन्नो सो य पुण्णो य, स बंधू मोक्खदायगो ।। [२६] स एव भव्व-सत्ताणं, चक्खुभूए वियाहिए । दंसेइ जो जिणुद्दिठें, अनुट्ठाणं जहट्ठियं ।। [२७] तित्थयरसमो सूरी सम्मं जो जिनमयं पयासेइ । आणं अइक्कमंतो सो कापुरिसो न सप्पुरिसो [२८] भट्ठायारो सूरी भट्ठायारानुवेक्खओ सूरी | उम्मगठिओ सूरी तिन्नि वि मग्गं पणासंति ।। [२९] उम्मग्गठिए सम्मग्गनासए जो य सेवए सूरी | नियमेणं सो गोयम ! अप्पं पाडेइ संसारे ।। [३०] उम्मग्गठिओ एक्कोऽवि नासए भव्वसत्तसंघाए । तं मग्गमनुसरंते जह कुत्तारो नरो होइ ।। [३१] उम्मग्ग-मग्ग-संपट्ठियाण सूरीण गोयमा संसारो य अनंतो होइ य सम्मग्गनासीणं ।। [३२] सुद्धं सुसाहुमग्गं कहमाणो ठवइ तइयपक्खंमि । अप्पाणं इयरो पुण गिहत्थधम्माओ चुक्कोत्ति ! नूनं । [दीपरत्नसागर-संशोधितः] [3] [३०|१|गच्छायारो]Page Navigation
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