Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ बो अज्झयणं सामण्णपुव्वयं १. 'कहं न कुज्जा" सामण्णं, जो कामे न निवारए । पए पए विसीयंतो, संकप्पस्स वसं गओ ॥ २. वत्थगंधमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य । __अच्छंदा जे न भुंजंति, न से चाइ' त्ति वुच्चइ ॥ ३. जे य' कंते पिए भोए, लद्धे विपिट्रिकुव्वई। साहीणे चयइ भोए' से हु चाइ त्ति वुच्चइ ॥ ४. समाए' पेहाए परिव्वयंतो सिया मणो निस्सरई बहिद्धा । न सा महं नोवि अहं पि तोसे इच्चेव ताओ विणएज्ज राग ॥ ५. आयावयाही चय सोउमल्लं' कामे कमाही कमियं ख दुक्खं । 'छिदाहि दोसं विणएज्ज राग" एवं सुही होहिसि संपराए । ६. पक्वंदे जलियं जोइं 'धूमकेउं दुरासयं''। नेच्छंति वंतयं भोत्तु" कुले जाया अगंधणे ॥ १. कयाऽहं कुज्जा, कइऽहं कुज्जा, कहं स कुज्जा ६. समाय (अचूपा)। (अचूपा); कइऽहं कुज्जा (जिचू) ; ७. नीसरती (अचू) । कयाऽहं कुज्जा, कहं ण कुज्जा, कहं णु कुज्जा ८, वयाहि (अचू, जिचू)। (जिचूपा); कयाऽहं कुज्जा, कइऽहं कुज्जा, ६. सोगुमल्लं (क, ख, ग); सोगमल्ल (घ, जिचु, (हाटीपा)। हाटी)। २. चागि (अचू)। . १०. कमाहि (अ)। ३. उ (अचू)। ११. छिदाहि राग विणएहि दोसं (अचू) । ४. विप्पिट्ठि० (ख); विपिट्ठ० (ग); विप्पिट्ठ० १२. धूमकेतुं दुरासदं (अचू) । (अचू): १३. मुत्तं (ख); मुत्तुं (ग) : ५. भोगी (अचू)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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