Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ 88 दसवेआलियं 6. गिहिणो वेयावडियं न कुज्जा अभिवायणं वंदण पूयणं च / असंकिलिट्ठहिं समं वसेज्जा मुणी चरित्तस्स जओ न हाणी / / 10. न या लभेजा निउणं सहायं गुणाहियं वा गुणओ समं वा / एक्को वि पावाइं विव जयंतो विहरेज्ज' कामेसु असज्जमाणो / 11. संवच्छरं चावि परं पमाणं बीयं च वासं न तहि वसेज्जा / सुत्तस्स मम्गेण चरेज्ज भिक्खू सुत्तस्स अत्थो जह आणवेइ / 12. जो पुव्वरत्तावररत्तकाले संपिक्खई अप्पगमप्पएण / कि मे कडं? किं च मे किच्चसेसं? किं सक्कणिज्ज न समायरामि ? / / 13. कि मे परोपासइ? किव अप्पा? किंवा 'खलियं न विवजयामि ? / इच्चेव सम्म अणुपासमाणो" अणागयं नो पडिबंध कुज्जा / / 14. जत्येव 'पासे कइ दुप्पउत्तं काएण वाया अदु माणसेणं / तत्थेव धीरो पडिसाहरेज्जा आइन्नओ खिप्पमिव'" क्खलीणं / / 15. जस्सेरिसा जोग जिइंदिपस्स धिइमओ सप्पुरिसस्स निच्चं / तमाहु लोए पडिबुद्धजीवी सो जीवइ संजमजीविएणं / / 16. अप्पा" खलु सययं रक्खियव्वो सविदिएहिं सुसमाहिएहि / अरक्खिओ जाइपह" उवेइ सुरक्खिओ सव्वदुहाण मुच्चइ / / -त्ति बेमि // ग्रन्थ परिमाण अनुष्टुप् श्लोक 664 2017 1. वा (क, ख, ग, घ, हाटी) / 2. चरेज्ज (अचू)। 3. वितियं (अचू)। 4. रत्तअवरत्त (अचु, जिचू) / 5. सारक्खती (अचू, जिचू)। 6. व (अचू)। 7. पस्सति (अचू, जिचू)। 8. च (क, ग, घ, जिचू)। 6. चाहं (क)। 10. खलितो (अचू); खलितं ण (अचूपा)। 11. °पस्समाणो (अचू)। 12. पस्से कइ दुप्पणीयं (अचू); दुप्पणीयं (जिचू)। 13. आतिथ्णो खित्त° (अचू); आइण्णो खित्त° (जिचू); आतिण्णो खिप्प (अचूपा, जिचूपा)। 14. अप्पा हु (क, ख, ग, घ)। 15. जाति-वधं (ई) (अचू, जिबू); जाति-पधं (ह) (अचूपा, जिचूपा)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66