Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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[ १२ ] सूत्रसंख्या विषय
गाथाङ्क
पृष्ठात १३०-१३१ सूर्प आदि से शीतल करके दिये जाने वाले अत्यन्त
ऊष्ण तथा उष्णोष्ण (गरमागरम) प्रशनादि का निषेध
५६६५-५६६८१६४ १३२ पूर्ण रूप से शस्त्र-परिणत होकर अचित्त न हुए, इस प्रकार के उत्स्वेदिम आदि जल का निषेध
१६५-१६६ उत्स्वेदिम प्रादि की व्याख्या, जन की प्रचित्तता के परिज्ञान के सम्बन्ध में शङ्का-समाधान, अपवाद प्रादि
५६६१-५६७६ १६५-१६६ १३३ अपने आचार्य-योग्य लक्षणों के कथन का निषेव ।
१९७-१६८ प्राचार्य के लक्षण, लक्षण-कथन से होने वाले दोष प्रादि ५६७७-५९८६ १९७-१९८ १३४ गायन-वादन-नृत्य आदि करने का निषेध
५६८७-५६६३ १९९-२०० १३५-१५० भेरी आदि, वीणा आदि, ताल आदि, वप्र आदि के शब्द सुनने की अभिलाषा का निषेव ।
५६६४-५६६६ २००-२०३ १५१ लौकिक तथा पारलौकिक आदि विविध रूपों में आसक्ति रखने का निषेध
अष्टादश उद्देशक सप्तदश और अष्टादश उद्देशक का सम्बन्ध
५६६७ १ विना प्रयोजन नाव पर चढ़ने का निषेध
५६६८-६०८० २८५ २-५ नाव के खरीदने आदि का निषेध
६०८१-६०८४ २०६-२८७ ६-७ स्थल से जल में और जल से स्थल में नाव के खींचने का निषेध
२०७ ८-६ नाव में से जल को उलीचने और कीचड़ में से फंसी
नाव को बाहर निकालने का निषेध १० नाव में पानी भरता देख छिद्र को हस्तादि से बन्द करने का निषेध
२०८ ११ दूरस्थ नाव को अभीष्ट स्थान पर मंगाने का निषेध १२-१३ ऊर्श्वगामिनी आदि तथा योजनमामिनी आदि नाव में बैठने का निषेध
२०८ १४-१६ नाव को खींचने, खेने, निकालने और जलरिक्त करने आदि का निषेध
२०८-२११ उत्तिङ्ग आदि की व्याख्या तथा अपवाद, प्राचार्य मादि एवं निग्रन्थी को पूर्वापर रूप से नौका द्वारा पार उतारने का क्रम ६०१२-६०२३ २०८-२११
६०१०
२०८
६०११
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