Book Title: Agam 21 Puffiyanam Dasamam Uvvangsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 6
________________ सुबहुं लोह जाव दिसापोक्खयतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हित्ता पढमं छटुक्खमणं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तए णं सोमिले माहणरिसी पढमछट्टक्खमणअज्झयणं-३ पारणगंसि आयावणभूमिओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं गेण्हइ गेण्हित्ता पुरत्थिमं दिसि पोक्खेइ पुरत्थिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसि-अभिरक्खत्ता सोमिलमाहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अनुजाणउ त्तिकट्ठ पुरत्थिमं दिसं पसरइ पसरित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताई गेण्हइ गेण्हित्ता किढिण संकाइयं भरेति भरेत्ता दब्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहाओ य कट्ठाणि य गेण्हति गेण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवणसमंजणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता गंगं महानइं ओगाहइ ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ करेत्ता जलाभिसेयं करेइ करेत्ता जलकिड्डं करेइ करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइभए देवपिउकयकज्जे दब्भकलसहत्थगए गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्भे य कुसे य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरयं करेइ करेत्ता अरणिं करेइ करेत्ता सरएणं अरणिं महेइ महेत्ता अग्गिं पाडेइ पाडेत्ता अग्गिं संधुक्केइ संधुक्केत्ता समिहाकट्ठाणि पक्खिवइ पक्खिवित्ता अग्गिं उज्जालेइ उज्जालेत्ता अग्गिस्स दाहिणे पासे सत्तंगाई समादहे [तं जहा] | [६] सकथं वक्कलं ठाणं सेज्जभंडं कमंडलुं । दंडदारु तहप्पाणं अहे ताइं समादहे ।। [७] महुणा य धएणं य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ, चरुं साहेइ साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता अतिहियपूयं करेइ करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ, तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चं छट्ठक्खमणपारणगंसि तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव आहारं आहारेइ | नवरं इमं नाणत्तं दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थिउं अभिरक्खउ सोमिलं माहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउ त्तिकट्ट दाहिणं दिसिं पसरति, एवं पच्चत्थिमेणं वरुणे महाराया जाव पच्चत्थिमं दिसिं पसरति, उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाव उत्तरंदिसिं पसरति, पुव्वदिसागमेणं चत्तारि वि दिसाओ भाणियव्वाओ जाव आहारं आहारेंति, तए णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स अन्नया कयाड पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अनिच्चजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारुवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणरिसी अच्चंतमाहणकुलप्पसुए, तए णं मए वयाई चिण्णाइं जाव जूवा निक्खित्ता, तए णं मए वाणारसीए जाव पुप्फारामा य रोविया, तए णं मए सुबहुं लोए जाव धडावेत्ता जाव जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता जाव जेहपुत्तं आपुच्छित्ता सुबह लोह जाव गहाय मुंडे भवित्ता० पव्वइए, पव्वइए वि य णं समाणे छटुंछटेणं जाव विहरिए तं सेयं खलु ममं इयाणि कल्लं जाव जलते बहवे तावसे दिट्ठभट्टे य पव्वसंगइए य परियायसंगइए य आपच्छित्ता आसमसंसियाणि य बहुइं सत्तसयाइं अनुमानइत्ता वागलवत्थनियत्तस्स किढिण-संकाइय-गहित-संभंडोवगरणस्स कट्ठमुद्दाए मुहं बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महप्पत्थाणं पत्थाइत्तए | [दीपरत्नसागर संशोधितः] [२१-पुप्फियाणं] [5]Page Navigation
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