Book Title: Agam 21 Puffiyanam Dasamam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स पू. आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः २१ पूप्फियाणं- दसमं । मनि दीपरत्नसागर Date: / /2012 Jain Aagam Online Series-21 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | २१ गंथाणुक्कमो कमंको अज्झयणं गाहा १- अणक्कमो पिढेको १-३ ३ ३ ५-७ ३ पढम-चंदे बीअं-सूरे तइयं-सुक्के चउत्थं-बहुपुत्तिया पंचमं-पन्नभद्दे छटुं-माणिभद्दे सत्तमं (जाव) दसमं ४ १३ ६.१ १४ १४ दीपरत्नसागर संशोधितः] [1] [२१-पुप्फियाणं] Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः नमो नमो निम्मलदंसणस्स ॐ ह्रीं नमो पवयणस्स २१ पुफियाणं-दसमं उवंगसुत्तं 0 पढ़मं अज्झयणं-चंदे 0 [१] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महवीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं दोच्चस्स वग्गस्स कप्पवडिंसियाणं अयमढे पन्नत्ते तच्चस्स णं भंते! वग्गस्स उवंगाणं पुप्फियाणं के अढे पन्नत्ते एवं खल जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं तच्चस्स वगस्स पुप्फियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता तं जहा:- | [२] चंदे सूरे सुक्के बहुपुत्तिय पुण्ण-माणिभद्दे य । दत्ते सिवे बले य अणाढिए चेव बोद्धव्वे ।। [२] जड़ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स पुप्फियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे, परिसा निग्गया, तेणं कालेणं० चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव विहरइ । इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवे दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे-आभोएमाणे पासइ पच्छा समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभे आभियोगं देवं सद्दावेत्ता जाव सुरिंदाभिगमनजोग्गं करेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति सूसरा घंटा जाव विउव्वणा, नवरं- जाणविमाणं जोयणसहस्सविच्छिन्नं अद्धतेवहि-जोयणमूसियं महिंदज्झओ पणुवीसं जोयणमूसिओ, सेसं जहा सूरियाभस्स जाव आगओ नट्टविही तहेव पडिगओ | भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा, कूडागारसाला दिलुतो सरीरं अनुपविट्ठा, पुव्वभवो एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नयरी होत्था, कोहए चेइए, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अंगई नामं गाहावई होत्था-अड्ढे जाव अपरिभूए, तए णं से अंगई गाहावई सावत्थीए नयरीए बहूणं नगर निगम जहा आनंदो, तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे णं अरहा पुरिसादानीए आइगरे जहा महावीरो नवुस्सेहे सोलसहिं समणसाहस्सीहिं अद्वतीसाए अज्जियासाहस्सीहिं जाव कोट्ठए समोसढे, परिसा निग्गया, तए णं से अंगई गाहावई इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हद्वतुट्टे जहा कत्तिओ सेट्टी निग्गच्छड़ जाव पज्जुवासइ, धम्म सोच्चा निसम्म जं नवरं-देवाणुप्पिया! जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेमि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि, जहा गंगदत्तो तहा पव्वइए, अनगारे जाए- इरियासमिए जाव गत्तबंभयारी, . तए णं से अंगइ अनगारे पासस्स अरहओ तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइय-माइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणे बहूई वासाइं सामण्णं परियागं दीपरत्नसागर संशोधितः] [2] [२१-पुप्फियाणं] Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्झयणं-१ पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता किंचि विराहियामण्णे कालमासे कालं किच्चा चंदवडिंसए विमाणे उववातसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिया चंदजोइसिंदत्ताए उववन्ने तए णं से चंदे जोइसिंदे जोइसराया अहणोववन्ने समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्ती भावं गच्छइ, तं जहा-आहारपज्जत्तीए जाव भासमण-पज्जत्तीए० भावेमाणे विहरइ । चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा! पलिओवमं वाससयसहसस्मब्भहियं, एवं खलु गोयमा! चंदस्स जोइसिंदस्स जोइसरण्णो सा दिव्वा देविड्ढी० | चंदे णं भंते! जोइसिंदे जोइसराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा! महाविदेहे वासे जाइं कुलाइं० तओ पच्छा संसार भउव्विग्गे सामन्नं पडिवज्जड़, कम्म खवेइ, तओ सिज्झिहिइ, एवं ! समणेणं भगवया महावीरेणं पुफियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, त्ति बेमि | 0बीअं अज्झयणं-सूरे 0 [४] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फियाणं पढमस्स अज्झयणस्स जाव अयमढे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स पुप्फियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं के अढे प० ? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, समोसरणं जहा चंदो तहा सूरोऽवि आगओ जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ, पुव्वभवपुच्छा, सावत्थी नयरी, कोट्ठए चेइए, सुपइढे नाम गाहावई होत्था- अड्ढे जहेव अंगई जाव विहरइ, पासो समोसढो, जहा अंगई तहेव पव्वइए, तहेव विराहियसामण्णे जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ । एवं खलु जंबु! समणेणं भगवया महावीरेणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, त्ति बेमि | 0 तइयं अज्झयणं-सुक्कं 0 [५] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उक्खेवओ भाणियव्वो, रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया | तेणं कालेणं तेणं समएणं सुक्के महग्गहे सुक्कवडिंसए विमाने सुक्कंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहेव चंदो तहेव आगओ नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ, भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा, कूडागारसाला दिहंतो, पुव्वभवपुच्छा | एवं खल गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी होत्था, तत्थ णं वाणारसीए नयरीए अंबसाल वने, सोमिले नामं माहणे परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए रिउव्वेय जाव बहूसु बंभण्णेसु य सत्थेसु सुपरिनिट्ठिए, पासे समोसढे, परिसा पज्जुवासइ, तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लद्धहस्स समाणस्स इमे एयारूवे अज्झत्थिए जाव एवं खलु पासे अरहा पुरिसादानीए पुव्वाणुपुव्विं जाव अंबसालवने विहरइ, तं गच्छामि णं पासस्स अरहओ अंतिए पाउब्भवामि, इमाइं च णं एयारूवाइं अट्ठाइं हेऊइं जहा पन्नत्तिए सोमिलो निग्गतो खंडिय विहुणो जाव एवं वयासी- जत्ता ते भंते! जवणिज्जं च ते भंते! पुच्छा सरिसवया मासा कुलत्था एगे भवं जाव संबुद्धे सावगधम्म पडिवज्जित्ता पडिगए । दीपरत्नसागर संशोधितः] [3] [२१-पुप्फियाणं] Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्झयणं-३ तए णं पासे अरहा अन्नया कयाइ वाणारसीओ नयरीओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ, तए णं से सोमिले माहणे अन्नया कयाइ असाहुदंसणेण य अपज्जुवासणयाए य मिच्छत्तपज्जवेहिं परिवड्ढमाणेहिं सम्मत्तपज्जवेहिं परिहायमाणेहिं मिच्छत्तं विप्पडिवण्णे, तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अच्चंतमाहण-कुलप्पसूए तए णं मए वयाइं चिण्णाइं, वेदा य अहीया, दारा परिणीया, गब्भा आहूया, पुत्ता जणिता, इड्ढीओ समाणीयाओ पसुवधा कया जन्ना जेट्ठा दक्खिणा दिन्ना अतिही पूजिता अग्गी या जूवा निक्खित्ता तं सेयं खलु मम इयाणिं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियंमि सूरे सहस्सरस्सिंमि दिनयरे तेयसा जलंते वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामे य माउलिंगारामे य बिल्लारामे य कविट्ठारामे य चिंचारामे य पुप्फारामे य रोवावित्तए । एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव पुप्फारामे य रोवावेइ, तए णं बहवे अंबारामा य जाव पुप्फारामा य अनुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संविड्ढज्जमाणा आराम जाया-किण्हा किण्होभासा जाव रम्मा महा-मेहनिकुरंबभूया पत्तिया पुप्फिया फलिया हरियगरेज्जिमाणसिरीया अईव-अईव उवसोभेमाणा चिटुंति, तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंब जागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव सम्प्पज्जित्था-एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अच्चंतमाहण कुलप्पसए तए णं मए वयाइं चिण्णाइं जाव जूवा निक्खित्ता तए णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा जाव पुप्फारामा य रोवविया तं सेयं खलु ममं इयाणिं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियंमि सूरे सहस्सरस्सिंमि दिनयरे तेयसा जलंते सुबहुं लोहकडाकडुच्छुयं तंबियं तावसभंडं घडावेत्ता विउलं असणं जाव साइमं उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ आमंतित्ता तं मित्तनाइ० विउलेणं असनं जाव सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ० पुरओ जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता तं मित्तनाइ० जेट्टपुत्तं च आपुच्छित्ता सुबहुं लोहकडाहकडुच्छुयं तंबियं तावसभंडंग गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति लोहकडाहकडुच्छुयं तंबियं तावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति तं जहा-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुंबउट्ठा दंतुक्खलिया उम्मज्जगा संमज्जगा निमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकूला उत्तरकूला संखधमा कूलधमा मियलुद्धा हत्थितावसा उदंडगा दिसापोक्खिणो वक्कवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय-कंद-मूल-तय-पत्त-पप्फ-फलाहारा जलाभिसेयकढिण-गायभूया आयावणाहिं पंचग्गिहतावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं कट्ठसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति तत्थ णं जे ते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं अंतिए दिसापोक्खिय तावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइएऽवि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि कप्पइ- मे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अनिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाओ पगिज्झिय पगिज्झिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए त्तिकट्ठ एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाव जलंते दीपरत्नसागर संशोधितः] [4] [२१-पुफियाणं] Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुबहुं लोह जाव दिसापोक्खयतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हित्ता पढमं छटुक्खमणं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तए णं सोमिले माहणरिसी पढमछट्टक्खमणअज्झयणं-३ पारणगंसि आयावणभूमिओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं गेण्हइ गेण्हित्ता पुरत्थिमं दिसि पोक्खेइ पुरत्थिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसि-अभिरक्खत्ता सोमिलमाहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अनुजाणउ त्तिकट्ठ पुरत्थिमं दिसं पसरइ पसरित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताई गेण्हइ गेण्हित्ता किढिण संकाइयं भरेति भरेत्ता दब्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहाओ य कट्ठाणि य गेण्हति गेण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवणसमंजणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता गंगं महानइं ओगाहइ ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ करेत्ता जलाभिसेयं करेइ करेत्ता जलकिड्डं करेइ करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइभए देवपिउकयकज्जे दब्भकलसहत्थगए गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्भे य कुसे य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरयं करेइ करेत्ता अरणिं करेइ करेत्ता सरएणं अरणिं महेइ महेत्ता अग्गिं पाडेइ पाडेत्ता अग्गिं संधुक्केइ संधुक्केत्ता समिहाकट्ठाणि पक्खिवइ पक्खिवित्ता अग्गिं उज्जालेइ उज्जालेत्ता अग्गिस्स दाहिणे पासे सत्तंगाई समादहे [तं जहा] | [६] सकथं वक्कलं ठाणं सेज्जभंडं कमंडलुं । दंडदारु तहप्पाणं अहे ताइं समादहे ।। [७] महुणा य धएणं य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ, चरुं साहेइ साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता अतिहियपूयं करेइ करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ, तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चं छट्ठक्खमणपारणगंसि तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव आहारं आहारेइ | नवरं इमं नाणत्तं दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थिउं अभिरक्खउ सोमिलं माहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउ त्तिकट्ट दाहिणं दिसिं पसरति, एवं पच्चत्थिमेणं वरुणे महाराया जाव पच्चत्थिमं दिसिं पसरति, उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाव उत्तरंदिसिं पसरति, पुव्वदिसागमेणं चत्तारि वि दिसाओ भाणियव्वाओ जाव आहारं आहारेंति, तए णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स अन्नया कयाड पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अनिच्चजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारुवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणरिसी अच्चंतमाहणकुलप्पसुए, तए णं मए वयाई चिण्णाइं जाव जूवा निक्खित्ता, तए णं मए वाणारसीए जाव पुप्फारामा य रोविया, तए णं मए सुबहुं लोए जाव धडावेत्ता जाव जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता जाव जेहपुत्तं आपुच्छित्ता सुबह लोह जाव गहाय मुंडे भवित्ता० पव्वइए, पव्वइए वि य णं समाणे छटुंछटेणं जाव विहरिए तं सेयं खलु ममं इयाणि कल्लं जाव जलते बहवे तावसे दिट्ठभट्टे य पव्वसंगइए य परियायसंगइए य आपच्छित्ता आसमसंसियाणि य बहुइं सत्तसयाइं अनुमानइत्ता वागलवत्थनियत्तस्स किढिण-संकाइय-गहित-संभंडोवगरणस्स कट्ठमुद्दाए मुहं बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महप्पत्थाणं पत्थाइत्तए | [दीपरत्नसागर संशोधितः] [२१-पुप्फियाणं] [5] Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते बहवे तावसे य दिट्ठाभट्ठे य पुव्वसंगतीते य तं चेव जाव मुद्दा मुहं बंधइ बंधित्ता अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ - जत्थेव णं अहं जलंसि वा अज्झयणं-३ थलंसि वा दुग्गंसि वा निन्नंसि वा पव्वयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलेज्ज व पवडेज्ज वा नो खलु मे कप्पइ पच्चुट्ठित्तए त्तिकट्टु अयमेयारूवे अभिग्गहं अभिगिण्हइ उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहे महपत्थाणं पत्थिए, तणं से सोमिले माहणरिसी पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे व उवागए असोगवरपायवस्स अहे किढिय संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवण-संमज्जणं करेइ करेत्ता दब्भकुसहत्थगए जेणेव गंगा महानई जहा सिवो जाव गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुतरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्भेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरगं करेइ करेत्ता जाव बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणी संचिट्ठइ । तए णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउ तणं से देवे सोमिलं माहणं एयं वयासी- हं भो! सोमिलमाहणा ! पव्वइया दुप्पवइयं ते, तए णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चंपि तच्चंपि एयमट्ठे नो आढाइ नो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ, तए णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा अणाढाइज्जमाणे० जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए, तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते वागलवत्थनियत्थे किढिण-संकाइय-गहियग्गिहोत्तभंडोवगरणे कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता उत्तराभिमुहे संपत्थिए, तए णं से सोमिले बिइयदिवसंमि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव सत्तिवन्ने तेणेव उवगाए सत्तिवण्णस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ जहा असोगवरपायवे जाव अग्गिं हुणइ कट्ठमुद्दाए मुहं बंदइ तुससिणीए संचिट्ठिइ । तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए, तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे जहा असोगवरपायवे जाव पडिगए, तए णं से सोमिले कल्लं जाव जलते वागल वत्थनियत्थे कढिण संकाइय गेण्हत्ति गेण्हत्ति गेण्हित्ता कट्ठ मुद्दाए मुहं बंधंति, बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले तइयदिवसंमि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढे गंगाओ महानईओ पच्चुत्तराइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वेदिं रएइ रएत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तं चेव भणइ जाव पडिगए, तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए० जाव उत्तराभिमुहे संपत्थिए, तए णं से सोमिले चउत्थिदिवसंमि पच्चावरण्ह - कालसमयंसि जेणेव वडपायवे तेणेव उवागए वडपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ उवलेवण संमज्जणं करेइ जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तं चेव भणइ जाव पडिगए, तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए० जाव उत्तराभिमुहे संपत्थिए, तए णं से सोमिले पंचमदिवसंमि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव उंबरपायवे तेणेव उवागच्छइ उंबरपायवस्स अहे किढिणसंकाइयं ठवेइ जाव कट्ठ मुद्दाए मुहं बंधंति जाव तुसिणीए संचिट्ठइ । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [6] [२१-पुप्फियाणं] Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तए णं तस्स सोमिलमाहणस्स पव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे जाव एवं वयासी- हं भो! सोमिला! पव्वइया दुप्पव्वइयं ते पढम भणइ तहेव तुसिणीए संचिट्ठइ, देवो दोच्चंपि तच्चंपि वदइ सोमिला पव्वइया दुप्पव्वइयं ते, तए णं से सोमिले तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे तं देवं अज्झयणं-३ एवं वयासी कहं णं देवाणुप्पिया! मम दुप्पव्वइयं ? तए णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया तुमं पासस्स अरहओ पुरिसादानीयस्स अंतियं पंचाणुव्वइए सत्तसिक्खावइए दुवालसविहे सावगधम्मे पडिवन्ने तए णं तव अन्नया कयाइं असाहुदंसणेणं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स जाव पुव्वचिंतियं देवो उच्चारेइ जाव जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छसि उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं जाव तुसिणीए संचिट्ठसि तए णं अहं पुव्वरत्तावरत्तकाले तव अंतियं पाउब्भवामि हं भो सोमिला! पव्वइया दुप्पव्वइयं ते तह च्चेव देवो निरवयं भणइ जाव पंचमदिवसंमि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव उंबरपायवे तेणेव उवागए किढिण-संकाइयं ठवेसि वेदिं वड्ढेसि उवलेवण-संमज्जणं करेसि करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधेसि बंधेत्ता तुसिणीए संचिट्ठसि तं एवं खलु देवाणुप्पिया तव दुप्पव्वइयं । तते णं से सोमिले तं देवं एवं वयासि कहं णं देवाणुप्पिया! मम सुप्पव्वइत्तं ? तए णं से देवे सोमिलं एवं वयासि- जइ णं तुमं देवाणुप्पिया इयाणिं पुव्वपडिवण्णाइं पंच अनुव्वयाइं सयमेव उवसंपज्जित्ता णं विहरसि तो गं तुब्भं इयाणिं सुपव्वइयं भवेज्जा, तए णं से देवे सोमिलं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए, तए णं से सोमिले माहणरिसी तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे पुव्वपडिवण्णाइं पंच अनुव्वयाइं सयमेव उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तए णं से सोमिले बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठम जाव मासद्धमास खमणेहिं विचित्तेहिं तवोवहाणेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूइं वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ झूसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अनालेइयपडिक्कंते विराहियसम्मत्ते कालमासे कालं किच्चा सुक्कवडिंसए विमाने उववायसभाए देवसयणिज्जंसि जाव ओगाहणाए सुक्कमहग्गहत्ताए उववन्ने, तए णं से सुक्के महग्गहे अहणोववन्ने समाणे जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए, एवं खलु गोयमा! सुक्केणं महग्गेणं सा दिव्वा जाव अभिसमन्नागए एग पलिओवमं ठिई, सुक्के णं भंते! महग्गहे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं कहिं गच्छिहिइ ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ एवं खलु जंबू० समणेणं निक्खेवो० त्ति बेमि | 0 चउत्थं अज्झयणं-बहुत्तिया 0 [८] जइ णं भंते! उक्खेवओ० एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया, तेणं कालेणं तेणं समएणं बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाने सभाए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सीहासनंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं महत्तरियाहिं जहा सूरियाभे जाव भुंजमाणी विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी-आभोएमाणी पासइ पच्छा समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभो जाव नमंसित्ता सीहासनवरंसि पुरत्थाभिमुहा संनिसण्णा आभिओगा जहा सूरियाभस्स सूसरा घंटा, आभिओगं देवं सद्दावेइ, जाण विमाणं वण्णओ जाव उत्तरिल्लेणं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [7] [२१-पुप्फियाणं] Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निज्जाण-मग्गेणं जोयणसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं तहा आगया जहा सूरियाभो, धम्मकहा समत्ता, तए णं सा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भयं पसारेइ- देवकुमाराणं अट्ठसयं० देवकुमारियाण य वामाओ भुयाओ अट्ठसयं तयानंतरं च णं बहवे दारगा य दारियाओ य डिभए य डिभियाओ य विउव्वइ, नट्ठविहिं जहा सूरियाभो अज्झयणं-४ उवदंसित्ता पडिगया, भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ० कूडागारसाला दिदंतो, बहुपुत्तियाए णं भंते! देवीए सा दिव्वा देविड्ढी पुच्छा जाव अभिसमन्नागया ?| एवं खल गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी, अंबसालवने चेइए, तत्थ णं वाणारसीए नयरीए भद्दे नामं सत्थवाहे होत्था, अड्ढे जाव अपरिभूए, तस्स णं भद्दस्स सुभद्दा नामं भारिया सूमाला वंझा अवियाउरी जानुकोप्परमाया यावि होत्था, तए णं से सुभद्दाए सत्थवाहीए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं० इमेयारुवे जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं भद्देणं सत्यवाहेणं सद्धिं विउलाइं भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं धन्नओ णं ताओ अम्मयाओ सुलद्धे जाव णं तासिं अम्मयाणं मणुए जम्मजीवियफले जासिं मन्ने नियगकुच्छिसंभूयगाई थणदुद्धलुद्धगाइं महुरसमुल्लावगाणि मंजुलमम्मणपजंपियाणि थणमूला कक्खदेसभागं अभिसरमाणाणि पण्हयं पियंति, पुणो य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं गिण्हिऊणं उच्छंगनिवेसियाणि देंति समुल्लवाए सुमहरे पुणो-पुणो मंजुलमम्मणप्पभणिए अहं णं अधन्ना अपुन्ना अकयपुण्णा एत्तो एगमवि न पत्ता ओहय जाव झियाइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ णं अज्जाओ इरिया समियाओ भासा समियाओ एसणा समियाओ आयाण-भंडमत्त-निक्खेवणा समियाओ उच्चार-पासवण-खेलजल्ल-सिंघाण-पारिट्ठावणिया समियातो मण गुत्ताओ वय गुत्ताओ काय गुत्ताओ गुतिंदियाओ गुत्तबंभचारिणीओ बहुस्सुयाओ बहुपरियाराओ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणीओ गामाणुगामं दूइज्जमाणीओ जेणेव वाणारसी नयरी तेणेव उवागयाओ अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हिता संजमेण तवसा जाव विहरंति, तए णं तासिं सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए वाणारसीए नयरीए उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदानस्स भिक्खायरियाए अडमाणे भद्दस्स सत्थवाहस्स गिहं अनुपविढे । तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही ताओ अज्जताओ एज्जमाणीओ पासइ पासित्ता हतुट्ठा खिप्पामेव आसनाओ अब्भुढेइ अब्भुढेत्ता सत्तट्ठपयाइं अनुगच्छइ अनुगच्छित्ता वंदइ नमसइ नमंसित्ता विउलेणं असनपानखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता एवं वयासी- एवं खल अहं अज्जाओ! भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाइं भोग-भोगाइं भुंजमाणी विहरामी, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव एत्तो एगमवि न पत्ता तं तुब्भे णं अज्जाओ बणायाओ बहुपढियाओ बहूणि गामागर नगर जाव सण्णिवेसाई आहिंडह बहणं राईसर तलवर-जाव सत्थवाहप्पभिइणं गिहाई अनुपविसइ अत्थि से केइ कहिं चि विज्जापओए वा मंतप्पओए वा वमनं वा विरेयणं वा वत्थिकम्मं वा ओसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धे जेणं अहं दारगं वा दारियं वा पयाएज्जा ? तए णं ताओ अज्जाओ सुभदं सत्थवाहिं एवं वयासी- अम्हे णं देवाणुप्पिए! समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ नो खलु कप्पइ अम्हं एयमद्रं कण्णेहिं वि निसामेत्तए, किमंग पुण उवदंसित्तए वा समायरित्तए वा ? अम्हे णं देवाणुप्पिए! पुणं तव विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म परिकहेमो, तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तासिं अज्जाणं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म [दीपरत्नसागर संशोधितः] [8] [२१-पुप्फियाणं] Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हट्ठट्ठा ताओ अज्जाओ तिक्खुत्तो वंदइ नमसंति नमंसित्ता एवं वयासी सद्दहामि णं अज्जाओ! निग्गंथं पावयणं पत्तियामि रोएमि० णं अज्जाओ निग्गंथीओ! निग्गंथं पायवणं रोएमि० एवमेयं तहमेयं अवितहमेयं जाव से जहेयं तुब्भे वयह, इच्छामि णं अहं तुब्भं अंतिए सावगधम्मं पडिवज्जित्तए, अहासुहं देवा! मा अज्झयणं-४ पडिबंधं करेहि, तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तासिं अज्जाणं अंतिए सावगधम्मं पडिवज्जइ पडिवज्जित्ता ताओ अज्जाओ वंदइ जाव पडिविसज्जइ तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही समणोवासिया जाया जाव विहरइ । तए णं तीसे सुभद्दाए समणोवासियाए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंब जागरमाणीए जाव अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था - एवं खलु अहं भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं जाव विहरामि नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं सेयं खलु ममं कल्लं जाव जलते भद्दं सत्थवाहं आपुच्छित्ता सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्ताए, एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्ले जेणेव भद्दे सत्थवाहे तेणेव उवागया करतल० जाव एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! तुब्भेहिं सद्धिं बहूइं वासाई विउलाई भोग जाव विहरामि, नो चेव णं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी सुव्वयाणं अज्जाणं जाव पव्वइत्तए, तए णं से भद्दे सत्थवाहे सुभद्दं सत्थवाहिं एवं वयासी- मा णं तुमं देवाणुप्पिए! इयाणिं मुंडा जाव पव्वयाहि, भुंजाहिं ताव देवाणुप्पिए! मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई तओ पच्छा भुत्तभोई सुव्वाणं अज्जाणं अंतिए॰ पव्वयाहिं, तए णं सुभद्दा समणोवासिया भद्दस्स एयमट्ठे नो आढाइ नो परियाणइ दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी- इच्छामि णं देवाणुप्पिया तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी जाव पव्वइत्तए । तए णं से भद्दे सत्थवाहे जाहे नो संचाएइ बहूहिं आघवणाहिं य पन्नवणाहिं य सण्णवणाहिं य विण्णवणाहिं य आघवित्तए वा० जाव विण्णवित्तए वा ताहे अकामए चेव सुभद्दाए निक्खमणं अनुमन्नित्था, तए णं से भद्दे सत्थवाह विउलं असणं० उवक्खडावेइ मित्त नाइ० जाव आमंतेइ तओ पच्छा भोयणवेलाए जाव मित्त- नाइ० सक्कारेइ सम्माणेइ, सुभद्दं सत्थवाहिं ण्हायं जाव पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूहेड़, ततो सा सुभद्दा मित्त नाइ० जाव सद्धिं संपरिवुडा सव्विड्ढीए जाव दुंदुहि-निग्घोसणाइयवरवेणं वाणारसीनयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं अज्जाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छित्ता पुरिससहस्स वाहिणिं सीयं ठवेइ, सुभद्दं सत्थवाहिं सीयाओ पच्चोरुहेइ, तए णं भद्दे सत्थवाहे सुभद्दं सत्थवाहिं पुरओ काउं जेणेव सुव्वया अज्जा तेणेव उवागच्छइ सुव्वयाओ अज्जाओ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! सुभद्दा सत्थवाही ममं भारिया इट्ठा कंता जाव मा णं वाइया पित्तिया सिंभिया सन्निवाइया विविहा रोगायंका फुसंतु, एस णं देवाणुप्पिया! संसारभउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता जाव पव्वयाइ, तं एयं णं अहं देवाणुप्पियाणं सीसिणिभिक्खं दलयामि, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया! सीसिणिभिक्खं, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंधं करेह, तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही सुव्वयाहिं अज्जाहिं एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठा जाव सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणेव सुव्वयाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुव्वयाओ अज्जाओ तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं० वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [9] [२१-पुप्फियाणं] Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आलित्ते णं अज्जा लोए पलित्तेणं अज्जा० जहा देवानंदा तहा पव्वइया जाव अज्जा जाया इरियासमिया जाव गुत्तबंधयारिणी तए णं सा सुभद्दा अज्जा अन्नया कयाइ बहुजनस्स चेडरूवेसु मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा अब्भंगणं च उव्वट्टणं च फासुयपाणं च अलगत्तंग च कंकणाणि य अंजनं च वण्णगं च चुण्णगं च खेल्लगाणि य खज्जल्लगाणि य खीरं च पुप्फाणि य गवेसइ गवेसित्ता बहुजनस्स दारए य अज्झयणं-४ डिंभियाओ य अप्पेगइयाओ अब्भंगेइ जाव ण्हावेइ अप्पेगइयाणं पाए रयइ अप्पेगइयाणं ओट्ठे रयइ अप्पेगइयाणं अच्छीणि अंजेइ अप्पेगइयाणं उसुए करेइ अप्पेगइयाणं तिलए करेइ अप्पेगइयाओ दिगिंदल करेइ अप्पेगइयाणं पंतियाओ करेइ अप्पेगइयाणं छिज्जाई करेइ अप्पेगइया वण्णएणं समालभइ अप्पेगइया चुण्णएणं समालभइ अप्पेगइयाणं खेल्लणगाई दलयइ अप्पेगइयाणं खज्जलगाई दलयइ अप्पेगइयाओ खीरभोयणं भुंजावेइ अप्पेगइयाणं पुप्फाइं ओमुयइ अप्पेगइयाओ पाएसु ठवेइ अप्पेगइयाओ जंघासु ठवेइ एवं-ऊरुसु उच्छंगे कडीए पिट्ठीए पिट्टे उरसि खंधे सीसे य करयलपुडेणं गहाय हलउलेमाणी- हलउलेमा आगायमाणी-आयायमाणी परिगायमाणी - परि- गायमाणी पुत्तपिवासं च धूयपिवासं च नत्तुयपिवासं च नत्तिपिवासं च पच्चणुभवमाणी विहरइ । तए णं तओ सुव्वयाओ अज्जाओ सुभद्दं अज्जं एवं वयासी अम्हे णं देवाणुप्पिए! समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभयारिणीओ नो खलु अम्हं कप्पड़ धाइकम्मं करेत्तए, तुमं चणं देवाणुप्पिए बहुजनस्स चेडरूवेसु मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा अब्भंगणं जाव नत्तुइपिवासं वा पच्चणुभवमाणी विहरसि, तं णं तुमं देवाणुप्पिए एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवज्जाहि, तणं सा सुभद्दा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं एयमहं नो आढाइ नो परिजाणइ अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ, तए णं ताओ समणीओ निग्गंथीओ सुभद्दं अज्जं हीलेंति निंदंति खिति हं अभिक्खणं-अभिक्खिणं एयमहं निवारेंति । तए णं तीसे सुभद्दाए अज्जाए समणीहिं निग्गंथीहिं हीलिज्जमाणीए जाव अभिक्खणंअभिक्खणं एयमद्वं निवारिज्जमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्तीए जाव समुप्पज्जित्था जया णं अहं अगारवसं आवासामि तया णं अहं अप्पवसा, जप्पभिदं च णं अहं मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया तप्पभिड़ं च णं अहं परवसा, पुव्विं च ममं समणीओ निग्गंथीओ आढेंति परिजार्णेति, इयाणिं नो आढेंति नो परिजाणंति तं सेयं खलु मे कल्लं जाव जलंते सुव्वयाणं अज्जाणं अंतियाओ पडि - निक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते सुव्वयाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमेत्ति, पडिनिक्खमित्ता पाडियक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तए णं सा सुभद्दा अज्जा अज्जाहिं अणोहट्टिया अनिवारिया सच्छंदमई बहुजनस्स चेडरूवेसु मुच्छिया जाव अब्भगणं च जाव नत्तिपिवासं च पच्चणुभवमाणी विहरइ । तए णं सा सुभद्दा अज्जा पासत्था पासत्थविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी संसत्ता संसत्तविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउण पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता तीस भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अनालोइय अपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तियाविमाणे ववासभा देवसयणिज्जंसि देवदू-संतरिया अंगुलस्स असंखेज्जइ भागमेत्ताए ओगाहणाए बहुपुत्ति देवता [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [10] [२१-पुप्फियाणं] Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववन्ना, तए णं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोववण्णमेत्ता समाणी पंचविहए पज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गया । एवं खलु गोयमा! बहुपुत्तियाए देवीए सा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी ? गोयमा ! बहुपुत्तिया णं देवी जाहे-जाहे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उवत्थाणियं करेइ ताहे - ताहे बहवे दारए य दारियाओ य डिंभए य डिंभियाओ य विउव्वइ विउव्वित्ता जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सक्कस्स देविंदस्स अज्झयणं-४ देवरण्णो दिव्वं देविड्द्धं दिव्वं देवज्जुइं दिव्वं देवानुभावं उवदंसेइ, से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी । बहुपुत्तियाए णं भंते! देवीणं केवइयं काल ठिती प० ? गोयमा ! चत्तारि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता, बहुपुत्तिया णं भंते! देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले विभेल- सन्निवेसे माहण - कुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिइ । तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते निवत्ते असुइजाकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अयमेयारूवं नामधेज्जं करेंति होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेज्जं सोमा, तए णं सा सोमा उम्मुक्कबालभावा विण्णय-परिणयमेत्ता जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाव भविस्सइ, तए णं तं सोमं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं विण्णय-परिणयमेत्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरूविएणं सुक्केणं पडिरूविएणं य विनएणं नियगस्स भाइणेज्जस्स रट्ठकूडस्स भारियत्ताए दलइस्संति, सा णं भारिया भविस्सइ इट्ठा कंता जाव भंडकरंडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपेला इव सुसंपरिगहिया रयणकरंडगो विव सुसारक्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं जाव विविहा रोयायंका फुसंतु, तए णं सा सोमा माहणी रट्ठकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणी संवच्छरे संवच्छरे जुयलगं पयायमाणी सोलसेहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयाहिइ । तए णं सा सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दारगेहि य दारियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य डिंभएहि य डिंभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं अप्पेगइएहिं थणपाएहिं अप्पेगइएहिं पीइग-पाएहिं अप्पेगइएहिं परंगणएहिं अप्पेगइएहिं परक्कममाणेहिं अप्पेगइएहिं पक्खेलणेहिं अप्पेगइएहिं थ मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खीरं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं तेल्लं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खेल्लणयं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खज्जगं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खिल्लणयं अप्पेगइएहिं कूरं मग्गमाणेहिं अप्पेगएहिं पाणियं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं हसमाणेहिं अप्पेगइएहिं मग्गमाणेहिं हणमाणेहिं अप्पेगइएहिं हम्ममाणेहिं अप्पेगइएहिं विप्पलायमाणेहिं अप्पेगइएहिं अणुगम्ममाणेहिं अप्पेगइएहिं अप्पेगइएहिं रोयमाणेहिं अप्पेगइएहिं कंदमाणेहिं अप्पेगइएहिं विलवमाणेहिं अप्पेगइएहिं कूवमाणेहिं मग्गमाणेहिं अप्पेगइहिं उक्कुवमाणेहिं अप्पेगइएहिं निद्दायमाणेहिं अप्पेगइएहिं पयलायवमाणेहिं अप्पेगइएहिं हदमाणेहिं अप्पेगइएहिं वममाणेहिं अप्पेगइएहिं छेरमाणेहिं अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं मुत्त-पुरिस-वमियसुलित्तोवलित्ता मइलवसणपोच्चडा जाव असुइविभच्छा परमदुग्गंधा नो संचाएहि रट्ठकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरित्तए, [दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] [२१-पुप्फियाणं] Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तए णं तीसे सोमाए माहणीए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं इमेहिं बहूहिं दारगेहिं य जाव डिभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं जाव अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं दुज्जम्मएहिं हयविप्पहयभग्गेहिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्त-पुरीस-वमिय-सुलित्तोवलित्ता जाव परमदुग्गंधा नो संचाएमि रहकूडेणं सद्धिं जाव भुंजमाणी विहरित्तए, तं धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जीवियफले जाओ णं वंझाओ अवियाउरियाओ जानुकोप्परमायाओ सुरभिसुगंधगंधियाओ विउलाइं माणुस्सगाइं भोगभोगाइं भुंजमाणीओ विहरंति, अहं णं अधन्ना अपुण्णा अफयपुण्णा नो संचाएमि रहकूडेण सद्धिं विउलाइं जाव विहरित्तए | अज्झयणं-४ तेणं कालेणं । तेणं समएणं सुव्वयाओ नाम अज्जाओ ईरियासमियाओ जाव बहुपरिवाराओ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणीओ जेणेव बिभेले सन्निवेसे उवागच्छंति उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं जाव विहरंति तए णं तासिं सुळ्याणं अज्जाणं एगे संघाडए बिभेले सन्निवेसे उच्च-नीय-जाव अडमाणे रहकूडस्स गिहं अनुपविटे, तए णं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ एज्जमाणीओ पासइ पासित्ता हट्ठा० खिप्पामेव आसनाओ अब्भुढेइ अब्बुढेत्ता सत्तट्ठ पयाइं अनुगच्छइ अनुगच्छित्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता विउलेणं असणं जाव पडिलाभेत्ता एवं वयासी- एवं खलु अहं अज्जाओ! रडकूडेणं सद्धिं० सोलसहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयाया तए णं अहं तेहिं बहुहिं दारएहि य जाव डिभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहि जाव मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं जाव नो संचाएमि विहरित्तए, तं इच्छामि गं अहं अज्जाओ! तुम्हें अंतिए धम्म निसामेत्तए, तते णं ताओ अज्जाओ सोमाए माहणीए विचित्तं केवविपन्नत्तं धम्म परिकहेंति तए णं सा सोमा माहणी तासिं अज्जाणं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठ जाव हियया ताओ अज्जाओ वंदइनमंसइ नमंसित्ता एवं वयासी-सद्दहामि णं अज्जाओ! निग्गंथं पावयणं जाव अब्भुट्टेमि णं अज्जाओ निग्गंथं पावयणं एवमेयं अज्जाओ! जाव से जहेयं तुब्भे वयह जं नवरं अज्जाओ! रहकूडं आपुच्छामि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंड० जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिए! मा पडिबंधं० | तए णं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ वंदइ जाव पडिविसज्जेइ, तए णं सा सोमा माहणी जेणेव रहकूडे तेणेव उवागया करतल जाव एवं वयासी एवं खलु मए देवाणुप्पिया! अज्जाणं अंतिए धम्मे निसंते से ऽवि य णं धम्मे इच्छिए पडिच्छिए जाव अभिरुईए, तए णं अहं इच्छामि देवाणुप्पिया! तुब्भेहिं अब्भणण्णाया सव्वयाणं अज्जाणं अंतिए० जाव पव्वइत्तए, तए णं से रहकडे सोमं माहणिं एवं वयासी- मा णं तुमं देवाणुप्पिए! इयाणिं मुंडा भवित्ता० पव्वयाहि भंजाहि ताव देवाणुप्पिए! मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं, तओ पच्छा भुत्तभोई सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए० पव्वयाहि । तए णं सा सोमा माहणी रहकूडस्स एयमद्वं पडिसणेइ तए णं सा सोमा माहणी ण्हाया जा अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा चेडियाचक्कवालपरिकिण्णा साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बिभेलं सन्निवेसं मज्झंमज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं अज्जाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुव्वयाओ अज्जाओ वंदइ नमसइ वदित्ता नमंसित्ता पज्जुवासइ, तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ सोमाए माहणीए विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म परिकहेंति जहा जीवा बज्झंति जहा जीवा मच्चंति० तए णं सा सोमा माहणी सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइ पडिवज्जित्ता सुव्वयाओ दीपरत्नसागर संशोधितः] [12] [२१-पुप्फियाणं] Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्जाओ वंदइ जाव नमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भया तामेव दिसि पडिगया, तए णं सा सोमा माहणी समणोवासिया जाया- भिगयजीवाजीवा जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरइ । तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अन्नया कयाइ बिभेलाओ सन्निवेसाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरंति तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अन्नया कयाइ पुव्वाणपव्विं चरमाणीओ जाव विहरंति, तए णं सा सोमा माहणी इमीसे कहाए लद्धता समाणी हद्वा० ण्हाया तहेव निग्गया जाव वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता धम्म सोच्चा जाव नवरं-रहकूडं आपुच्छामि तए णं पव्वयामि, अहासहं० तए णं सा सोमा माहणी सव्वयाओ अज्जाओ वंदड़ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता सव्वयाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव सए गिहे जेणेव रहकूडे तेणेव उवागच्छड़ अज्झयणं-४ उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिया तहेव आपुच्छइ जाव पव्वइत्तए, अहासुहं देवाणुप्पिए! मा पडिबंधं० ते णं से रहकूडे विउलं असनं तहेव जहा पव्वभवे सुभद्दा जाव अज्जा जाया- इरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी । तए णं सा सोमा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठम-दसम-दुवालसेहिं जाव भावेमाणी बहूइं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा सक्कस्स देविंदस्स देवरणो सामाणियदेवत्ताए उववज्जिहिइ, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, तत्थ णं सोमस्सवि देवस्स दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता से णं भंते! सोमे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा! महाविदेहे वासे जाव अंतं काहिइ । एवं खल जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फियाणं चउत्थस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि । 0 पंचम अज्झयणं-पुन्नभद्दे 0 [९] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं उक्खेवओ० एवं खल जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसरिए, परिसा निग्गया, तेणं कालेणं तेणं समएणं पुन्नभद्दे देवे सोहम्मे कप्पे पुन्नभद्दे विमाणे सभाए सुहम्माए पुन्नभइंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरियाभे जाव बत्तीसइविहं नट्टविहिं उवदंसित्ता जाव जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए, कूडागारसाला० पुव्वभवपुच्छा, एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मणिवइया नामं नयरी होत्था रिद्ध-त्थिमिय-समिद्धा, चंदोतारायणे चेइए, तत्थ णं मणिवइयाए नयरीए पुन्नभद्दे नाम गाहावई परिवसई अड्ढे० तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जाव जीवियास-मरणभयविप्पमुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुव्वाणुपुव्विं चरमाणा जाव समोसढा, परिसा निग्गया, तए णं से पुन्नभद्दे गाहावई इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हद्वतुढे जाव जहा पन्नत्तीए गंगदते तहेव निग्गच्छड़ जाव निक्खंतो जाव गुत्तबंभयारी, दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [२१-पुप्फियाणं] Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तए णं से पुन्नभद्दे अनगारे तहारूवाणं थेराणं भगवंताणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम-दसम-दुवालसेहिं जाव भावित्ता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सढि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे पुन्नभद्दे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए, एवं खलु गोयमा! पुन्नभद्दे देवेणं सा दिव्वा देविड़ढी जाव अभिसमण्णागया... पुन्नभद्दस्स देवस्स केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गो०! दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, पुन्नभद्दे देवे ताओ देवलोगाओ जाव कहिं गच्छिहिति० ? गो०! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ, एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं निक्खेवओ० त्ति बेमि | अज्झयणं-६ 0 छर्ट अज्झयणं-माणिभद्दे 0 [10] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उक्खेवओ० तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसरिए, तेणं कालेणं तेणं समएणं माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुन्नभद्दो तहेव आगमनं नट्टविही, पुव्वभवपुच्छा, मणिवई नयरी माणिभद्दे गाहावई, थेराणं अंतिए पव्वज्जा, एक्कारस अंगाई अहिज्जइ बहूई वासाइं परियाओ मासिया संलेहणा सहि भत्ताइं० माणिभद्दे विमाणे देवत्ताओ उववाओ, दो सागरोवमाइं ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० एवं खलु जंबु! निक्खेवओ / 07-10 - अज्झयणाणि 0 [11] एवं दत्ते सिवे बले अणाढिए सव्वे जहा पुन्नभद्दे देवे, सव्वेसिं दो सागरोवमाइं ठिई, विमाणा देवसरिनामा, पुव्वभवे दत्ते चंदनानामाए सिवे मिहिलाए बले हत्थिणपुरे नयरे अणाढिए काकंदीए चेइयाइं-जहा संगहणीए / मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधिताः सम्पादिताश्च “पुप्फियाणं उवंगसुत्तं” सम्मत्तं | 21 / “पुप्फियाणं" दसमं उवंगसुत्तं सम्मत्तं दीपरत्नसागर संशोधितः] [14] [२१-पुप्फियाणं]