Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 243
________________ गील लेस इय गीललेस (तील ) १७३३,६२,६४,६५, १०२,१०३.१०८ १९८९ १८७० बोललेला (नीललेयास्थान ) प १७ १४६ पीला (दोलखा) १७।१२१.१२४; २८।१२३ जीवलेस ( ) प ३६६ १३ १४ १७/३१, ४६,५७,५६,६१६४,६६६६७१ से ७४, ७६.८१ से ८१,८३१००१०३,१०० से १११, १६७ णीललेस्ट्ठाण (नील लेश्यास्थान ) प १७।१४६ बोललेस्सा (नीलश्था ) प १६/४६; १७३६, ११५ से १२८१२८,१२६,१३१,१३६, १४४, १४५,१४८ से १५२ परवा (वीलापरिणाम ) प १३१६ (न) १६३०४८१०३, १०८ ११०,१४२२२,१०९ से १४३,१६२,१६५, १६७,१७३ से १७६,१७,१०० से १८२, १८४,१८५,१५७, १८८, ११०,१६१,१९३, १२४,१६६, १६७,१६२,२००,२२५११, २२७, २६२ से २६५ गोलसुत्तय (नीलसूत्र ) प १७११६ गीली (नीवी) ३२४ गोलुप्पल (नीलोत्पल) णीसंद (निष्यन्द) १७ १२४ ११:३ चं ११ णीसल्ल ( निःकल्प ) ४५८ पोल्स (निर् ) संदिप १७१२,२५, ? २८१२१,३३,३८,६७ णीसास (नि) २२११६ मोहम्ममाण (३१३१ पोहारिण (वि) - २१२ पीहु (सिंह) ? पूर्ण (ननं) 2212:१४,२५,६६ से १०४, ११५.९०३.१९२१५०१४६१४६, १५१,१५४; ३६८१ उर (दे० ) प ११४. Jain Education International णेग (नंक ) प २८१४०, ४३,६६ ज ३१३,३२ गम (नंगम ) प १६।४६ व ( नेतव्य) सू६ १८११२३३१०/२३, २५; १५/६ १८३१; १६ १,३५,२०१८ तु (नेतृ) सू १०/६३ त (नेत्र) प १५७७,८२ ६२६ तविण्णाणावरण (नेत्रविज्ञानावरण ) प २३|१३ ऐतावरण (नेत्रावरण) प २३१३ हर (दे० नेहुर ) प १८६ प्रेम (नेम) ज १|११ णेमि ( नेमि ) ज ३।३०,६५,१५६,१७८ मिपास ( नेमिपा ) ज ३१२२ म्म (नेम) ४१२६ णे (जे) प २११५३ ज ३१७७, १०६,१२६, ७११२७।१,१६७।१ चं ५१२ १६१२ नेयतिया ( नैयतिकी) प १७१२५ यद (नेतव्य) ४।५५ ५ १६१८१३ ११३८१; १५११०२,१०८, १४३, १७/६८ २१।५२; २२७६, ३६।२२,२६,३२,४६ ज १११२ से १४,२५,४६,२४,६,४६,५६,६४, १३६, १५६; ३।६४,१५०,१५१,२१७; ४११०, ४७,५३,५६, ६०,६४, ७६,६४,६०,६२,६६,१०६,१४१, १४७,१६०,१६३ से १६५,१७३, १७४, १६७, २०७,२१०,२३८,२४३, २६२.२६८,२७४, २७७५/५३६६३५ ७१३५, ५०, ५८ १३०, १३१.१३५.१५५,१७६ सू ७ १,६२; १०१२२ णे (तृ) सू 18 रइअत्त (नैस: कत्व) प १५६४ रय ( चैरधिक) २२०,२१:३१६,२२; ४३; १०।३२ वे ३८, ४० से ४२, ४४ से ५२; १११४४, ८०; १२/२,११ से १३,१५,३६, १३/१४,१६ से १६ १४२, ३, ५, ७, ६, ११ से १४,१८१५ १७,१८,३५,४६,४८,५६,६२, ६३.६१,६६,७१,७५,७८, ८२, ८३,६१,६४ से ६:१,१००,१०२,१०७,१०८, ११८ से १२०३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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