Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
१०६८
२८.
कलंबुया
कल (कल) (कदम्बक) कहिचि कहिय कालहेसि (कालहेसिन्) (कौंम्भिक)
(कलम) (कलम्बुका) कहिंचि कहिय
३१.
कुंभिक्क
Mr mmmmm mr mr r m
कुमुदा
गरह
गवेस
गा
गाह
गिण्ह गुणड्ढ़
चउपएसिय
(कौम्भिक) (कुमुदा) गिरह ‘गवेस केगा
गाह गिह गुणड्ढ -गेवेज्ज (चतुःप्रदेशिक) चिय चिय चिर इचि चित (क्षुल्लहिमवत्)
छज्ज (छायाच्छाया)
छिद (छिन्नस्रोतस) छेद
गेवज्ज चातु प्रदेशिक चय चय चर
४३
४४.
XK
चुल्लहिमवंत
चित (चुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाछाया) छिद (छिन्नस्रोतस)
छायाछाया
छिन्नसोय
छेद
८ XCCCCC
जटियायलय
छेय (दे० जटिकायिलक) जा जाणियत्व जोयणसत्तपुहत्तिय (निवऱ्या) (निवृत्त) णिन्वाण (नरयिकासंजयायुष) (त्रपुसीमिजिका)
५६. ६०.
णिवुड्ढत्ता णिवत्त
(दे० जटिकायलक)
जा जाणियव्व जोयणसतपुहत्तिय (निवृध्य) (निवृत्त) णिव्वाय (नेरयिकासंज्ञयायुष्क) (त्रपुसीमज्जिका)
नीती
जेरइयअसण्णिआउय तउसी मिजिया
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 410 411 412 413 414 415