Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 285
________________ पत्तिय-पभंकरा ९७१ /पत्तिय (प्रति !-इ) पत्तिएज्जा प २०१७, १८०,१८२,५१२४,१२५,१३१,१६१,१७७, १८,३४ पचिवामि ३ ३३१०३ १७६,१६३,२१६,२१८,१०१२,४,५,१८,१६, पत्तेय (प्रत्ये) : १८८161,४७,४६,६०,२१४८%, २१ से २३,२५,२६,१२।३०,५३,५७; ६।१८।४।१०।१४,१६३१५ ज ११४६; १७१११४।१।२२।५८,७६:२८१५,५१ ज २१६५ ३।२०६:४१५,२७,११०,११४,११६,११८, ४।१४३ सू १९०२६ १२२,१२५,१२८,१३६, ५१ से ३,५,७,३१, पदेसघण (प्रदेशघन) प २१६४१५ ४२,५६ उ १११२१,१२२,१२६ पदेसठ्ठता (प्रदेशार्थ) प ३.११६ से १२०,१२२ पत्तेयजिय (प्रत्ये। जीव) प १२४८६ पदेसठ्ठया (प्रदेशार्थ)प ३।११५,११६,१२०,१२२, पत्तेयजीविय (प्रत्येकजीवित) ५११३५,३६ १७६ से १८२,५१५,७,१०,१४,१६,१८,२०,३० पत्तेयबुद्ध सिद्ध (प्रत्येकबुद्धसिद्ध) ॥ १।१२ ३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६,६३,७१, पत्तयसरीर (प्रत्येक शरीर) ११२३२,३३,४७; ७४,८३,८६,६३,६७,१०१,१०४,१०७,१११, ४७।२,३,३७२ से ७४,५१,८४ से ८७,६५, ११६,१२६,१३१,१३४,१४५,१६६,१७२, १८३,१८१४४,५२ १७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६०,२०३, पत्यसरीरणाम (प्रायकवारीरनामन् ) प २३:३८, २०७,२११,२२४,२२८,२३२,२३४,२३७, २३६१०१३,४,५.२६,२७,१७११४४,१४६; पत्थ (थ्य) ज ४।३,२५ २१११०४ पत्थड (प्रस्तट) प २।१,४,१०,१३,४८,६० से ६२ पदेसणामणिहत्ताउय (प्रदेशनामनिधत्तायुष्क) ज४१४६ प६.११८ पदेसणामनिहत्ताउय (प्रदेशनामनिधत्तायुष्क) पत्थाइत्तए (प्रस्थातुम् ) उ ३३५ ५६.११६,१२२ पत्थाण (प्रस्थान) उ ३१५१,५३.५५ पिधार (प्र-धु) पधारेइ ज ५७२,७३ पस्थिज्जमाण (प्रायमान) ज २१६:३।१८६,२०४ पधारेति प २२।४ पस्थिय (प्रार्थित) ३१२६,४७,५६,८७,१२२, पपोत (प्रधौत) ज ३।१०६ १२३,१३३,१४५,१८८,५१२२ उ १११५,५१, पन्नरस (पञ्चदशन् ) प १८४ ५४,६५,७६,७६,६६,१०५,३१२६,४८,५०, पन्नरसविह (पञ्चदशविध) प १४१२,१६:३६ ५५,१८,१०६.११८,१३१:५।३६,३७ पप्प (प्राप्य) प १६१४६ १७/११५ से १२२, पस्थिय (प्रस्थित) उ ३१५१,५३,५५ १४८,१५४,२३३१३ से २३,२८।१०५% पत्थिव (पार्थिव) ज १३ ३४।१६ पद (पद) ५१११०१७,१२१३२१८१२; पप्पडमोदय (पर्पटमोदक) प १७४१३५ २८1१४५,३६७२ ज ३:३२ सू १०।६३ से ७४ पप्पडमोयय (पर्पटमोदक) ज २०१७ पदाहिण (प्रदक्षिण) सू १६।२२।१०,११,१६२३ पफ्फुल (प्रफुल्ल) ज ४१३,२५ ‘पदीस ( दश) पदीसई प ११४८.१० से पन्भट्ठ (प्रभ्रष्ट) ज ३११२,८८,५७,५८ १७,१६ से २३ पदीसए प १४४८।११ से १३ पब्भार (प्रागभार) प२।१ ज ३१८५,१०९ प्रदीसति प ११४८१२५ से २६ पदीसती उश२७,१४०,५१५ प ११४८।१८,२४ पभंकर (प्रभङ्कर) सू २०१८,२०८७ पदेस (प्रदेश) प ११३,४२१६४।१,११,३११२४, पभंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२,७११८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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