Book Title: Agam 16 Surapannatti Uvangsutt 05 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो नमो निम्मल सणस्स पंचम गणधर श्री सुपर्मास्वामिने नमः १६ सूर पत्रत्ती पंचम उवंग पटमं पाहुडं -: पद मं-पा हुड पाहु डं:(१) नमो अरिहंताणं, तेणं कालेणं तेणं सपएणं मिहिला नामं नयरी होत्या-रिस्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया जाव पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा तीसे णं लिहिलाए नयरीए वहिया उत्तरपुरथिमि दिसीमाए एत्य णं माणिभद्दे नामं चेइए होत्या-वण्णओ तीसे गं मिहिलाए नयरीए जियसत्तू नाम राया धारिणी नामं देवी वण्णओ तेणं कालेणं तेणं समएणं तम्मि माणिभद्दे चेइए सामी समोसढे परिसा निग्गया धम्मो कहिओ जाव राया जामेव दिसं पाउठभए तामेव दिसंपडिगए।91-1 (२) तेणं कालेणं तेणं समएणं सपणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती नाम अणगारे गोयमेगोतेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए० जाव एवं वयासी-11-2 (३) कइ मंडलाइ बच्चइ तिरिच्छा कि व गच्छइ ओभासइ केवइयं सेयाइ किं ते संठिई 1911-1 (४) कहिं पडिहया लेसा कहं ते ओयसंठिती के सूरियं वरयंति कहते उदयसंठिती कतिकट्ठा पोरिसिच्छायाजोगे किं ते आहिए के ते संवच्छराणादी कइसंवच्छराइय ॥३॥-3 (६) कहं चंदमसो बुड्ढी कया ते दोसिणा बहू के सिग्धगई वुत्ते कहं दोसिणलक्खणं चयणोयवाते उच्चत्ते सूरिया कति आहिया अनुभावे के व से वुत्ते एवमेयाई वीसई ., [से तं पापसंखा-11-3 (4) वड्ढोवुड्ढी मुहत्ताणमद्धमंडलसंठिई के ते चिणं परियरइ अंतरं किं चरतिय आगाहइ केवइयं केवइयं च विकंपइ मंडलाण य संठाणे विक्खंभो अट्ठ पाहुडा १. सेतपढने पाहुडे पार पाइसंजा -1114 (१०) छप्पं च य सत्तेव य अट्ठ य तिण्णि य हवंति पडिवत्ती पढपस्स पाहुडस्स उ हवंति एयाओपडिवती १०.१ [सेतं पटपे पाडेपाच पाहापरिवती रांखा]-1५1-5 ||२||-2 |४|1-4 ||५|1-5 |६||-6 |७||-7 ||८||-8 For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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