Book Title: Agam 16 Surapannatti Uvangsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूरपन्नत्ती - ११२/२३ आदिन्ने संवच्छरे एस णं आदिचस्स संवच्छरस्स पञ्जवसाणे गाहाओ|१३|-13 पटमे पाहडे बीयं पाहा पाहुई सपतं. त चंपा हुड पाहु:(२४) ता के ते चित्रं पडिचरइ आहितेति वएज्जा तत्थ खलु इपे दुवे सूरियामारहे चेच सुरिए एएवए चेव सूरिए ता एतेणं दुवे सूरिया तीसाए तीसाए मुहुतेहिं एगमेगं अद्धमंडलं चांति सहिएसहीए मुहत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघातेति ता निक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया नो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरति पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णपण्णस्स चिण्णं पडिचरंति तं सतमेगं चोवालं तत्थ णं को हेतूति वएज्जा ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीयसमुद्दाणं सव्वदभंतराए जाव परिक्खेवणंतत्य णं अयं भारहए चेच सूरिए जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणंछेत्ता दाहिणपुरस्थिमिलंसि चउभागमंडलंसि वाणउति सूरियगताई चिण्णई पडिवरइ उत्तरपचत्थि मिलसि चउभागमंडलंसि एककाणउति मरियागताई जाई सरिए अप्पाणं चेव चिण्णाइं पडिचाइ तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवयस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपड़ीणायताए जाव छेत्ता उत्तरपुरस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि वाणउति सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चिण्णाई पडिचरइ दाहिणपञ्चस्थिमिल्लंसि चउभागमंड सि एक्काउणति सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाइं पडिचरइ तत्य अयं एवए सूरिए जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणावताए जाव छेत्ता उत्तरपुरस्थिमिल्लसि चउभगमंडलंसि बाणउत्ति सूरियगत्ताई जाई मूरिए अप्पणा चेय चिण्णाई पडिचरइ दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउति सूरिषगताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरइ तत्थ अयं एराबतिए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडिणायताए जाव छेत्ता दाहिणपञ्चस्थिमिल्लसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं मूरिवगताइंसुरिए परस्स चिण्णाई पडिचरइ उत्तरपुरस्थिमिल्लसि चउभागमंडलंप्ति एक्काणउति सूरियगताईजाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाईपडिचरइता निरखममाणा खलु एते दुवे सूरिया नो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णपण्णास्स विण्णं पडिचरंति सतमेगं चोयालं गाहाओ।१४|-14 पदमे पाहुडेतच पाहुइपाहुई समतं. __ -:च उत्थं पाहुड पाहु :(२५) ता केवतियं एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति आहिताति यएज्जा तत्य खलु इमाओ छ पडिवत्तीओ तत्थ एगे एचमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेतीसं जोयणसत्तं अण्णमण्णास अंतरं कट्ट सूरिया चारं चरंति आहिताति वएजा-एगे एवमाइंसु एगे पुण एवमाहंसु-ता एग जोयणसहस्सं एगं च चउतीसं जोयणसयं अण्णमण्णस्त अंतरं कट्ट सूरिचा चारं चरंति आहिताति वएजा-एगे एवमाहंसु एगे पुण एवमाहंसु-ता एग जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोपणसयं अण्णमण्णस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा-एगे एवमाहंसु एवं एगं दीवं एगं समुद्दे० एगे पुण एवमाहंसु-ता दो दीवेदो समुद्दे अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट सूरियाचारंचरंति आहितातिवएग्जा-एगे एवमाहंसु एगे पुण एवमाहंसु-ता तिणि दीवे तिण्णि समुद्दे अण्णपण्णस्स अंतरं कह सूरिया चारं चरंति आहिताति बएन्जा-एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं बवामो-ता पंच पंच जोयणाई पणतीसं च एट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतर आभेवढेमाणा वा For Private And Personal Use Only

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