Book Title: Agam 16 Surapannatti Uvangsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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11८९||-1
||२०|-2
||११||-9
सूरपन्नत्ती - २०/-१९८ (१९८) तस्य खलु इपे अद्वासीति महग्गहा पन्नत्ता तं जहा-इंगालए वियालए लोहितक्खे सणिच्छरे आहुणिए पाहुणिए कणे कणए कणकणए कणविताए कणसंताणए सोमेसहितेआसप्तणे कञोयए कब्बडए अपकरए दुंदुभए संखे संखणाभे संखवण्णाभे कसे कंसणाभे कंसवण्णामे नीले नीलोमासे रुप्पे रुप्पोमासे भासे भासरासी तिले तिलुप्फवण्णे दगे दगवण्णे काए काकंधे इंदग्गी धुमकेतु हरी पिंगलए बुधे सुकूके बहस्सई राहू अगस्थी माणदगे कासे फासे धुरे पमुहे वियडे विसंधीकप्पे नियाले पयल्ले जडियायलए अरुणे अग्गिलए काले महाकाले सोस्थिए सोवस्थिए वद्धपाणगे पलंबे निचालोए निचूजोते सयंपभे ओभासे सेयंकरे खेमंकरे आभंकरे पभंकरे अरए विरए असोगे वीतसोगे विमले वितते विवस्ये विसाले साले सुव्बते अणियट्टी एगजडी दुजडी करकरिए रायग्गले पुप्फकेतू भावकेतू।१०६/-107 (१९९) इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे चेव
आहुणिए पाहुणिए कणाकसणामाविणंचेव (२००) सोमे सहिते अस्सासणे य कञोवए य कब्बरए
अयकरए दुंदुभए संखसणामावि तिपणेव (२०१) तिण्णेव कंसणामा नीले रुप्पी य हुंति चत्तारि
पास तिल पुष्फवण्णे दगवण्णे काय बंधे य (२०२) इंदगि धूमकेतू य हरि पिंगलए बुधे यसुक्के य
बहसति राहु अगत्थी माणवए कामफासे य (२०३) धुरए पमुहे विवडे विसंधिकप्पे पयल्ले जडियाइलए अरुणे अग्गिल काले महाकाले
|१३||-5 (२०४) सोस्थिय सोवत्थिय वद्धमाणगतथा पलंये य
निघालोए निचुञ्जोए सयंपमे चेव ओमासे (२०५) सोयंकरे खेमंकर आमंकर पंभकरे य बोधब्बे
अरएविरए पतधा असोगे तह वीतसोगे य (२०६) विमल वितत्त विवत्थे विसाल तह साल सुब्बते चेव अणियट्टि एगजडि य होई बिजडी य बोधब्वे
॥१६॥8 (२०७) कर करिए रायग्गल बोधब्बे पुष्फ भावकेतू य अट्ठासीति खलु गहा नेतव्वा आणुपुब्बीए
वीसइमं पाहुई समतं. (२०८) इह एस पाहुडत्था अभव्वजणहिययदुल्लहा इणमो उविकत्तिता भगवती जोतिसरायस्स पन्नती
।।९८५-10 (२०९) एस गहितावि संति थद्धे गारविय-माणि-पडीणीए
अवहुस्सुए णं देया तबिवरीते भवे देया
॥९२1-4
॥॥९४||-8
॥९५1-7
॥९७19
९९|-11
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