Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 15
________________ । *णाचप्रतीतेचकार: समुच्चयार्थएववहणत्तिहननं८ उद्दवणत्तिउपद्रवणमपद्रवणंयार तिवायणायत्तित्रयाणांमनोवाकाथानामययात्रि म्योदेहायुष्केंद्रियलक्षणेभ्यः प्राणेभ्यः पातनाजीवस्यबंशनान्निपातनाउक्तं चकायवइमणोतिन्निउअहवादेहाउदियापाणाइत्यादि 'अथवा अतिशयवतीपात । नामाणेभ्यो जीवस्येत्यतिपातनातीतपिधा नादिशब्देष्विवाकारलोपात् चकारोवापिसमुच्चयइति ॥१०॥ प्रारंभसमारंभोत्तिारभ्यतेविनाश्यतइतियारंभाःजीवास्तेषां समारंभउपमर्द अथवामारंभः सप्यादिव्यापारस्तेनसमारंभो जीवोप मदःअथवाआरंभोजीवानामुपद्रवणं तेन सहसमारंभः परितापनमित्यारंभसमारंभः प्राणवघस्य पर्यायइतिअथवेहारंभसमारंभश्य ब्दयोरकतरएवगणनीयोवङसमरूपत्वादिति११ आउयकम्मरमु बद्दवोभेयनिट्ठवणगालणायमंवट्टगसंखेयोति प्रायःकर्मण्उपद्रवइति ___ समारंभो११ अाउयकम्मस्सुवह्वोभेयणिढवणगालणायसंवदृगसंखेश्रो१२ मञ्चु१३असंजमो१४ कड़ग * करसणादिव्यापारजीवनोउपमर्दन११ आउखाकर्मनोनीठाडवो घाउखानोभेदपमाडवो आउखानोगालववो एकठानोकरिवोसंखे मनोकरवो १२ चत्यु १३ संयमनोअभाव १४ सैन्यअथवापाषाणेकरीमर्दवयो १५ प्राणयकीनीवनो अंतकरवो१६ अनेरोभव परम


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