Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 16
________________ प्र०टी० १४ चल भाषा READER FREE वा तस्यैव भेदइति वा तन्त्रिष्ठापनमिति वातन्नालनेतिवाच समुचये तत्स वर्त्तक पूर्ति वा टूर खार्थे कः तत्संक्षेपइति वाप्राणवधस्य नाम एतेषां चउपद्रवादीनामेकतरस्यैवगणनेननाम्ना विंशत्पूरणीया यायुच्छेदलचणार्यापेचया सर्वेषामेतेषामेकत्वादिति१२ मृत्यु १३ यसंयमः १४ एतौ प्रतीतौ तथा कटकेनसैन्येन किलिंजेनवा आकस्यमर्दनं कटकमर्दनं ततो हि प्राणवधो भवतीत्युपचारात्प्रा णवधः कटकमर्दनशब्देनव्यपदिश्यतइति । १५। वोरमरणंतिव्युपरमणं प्राणेभ्योजीवस्य व्युपरतिः श्रयंच व्युपरम णशब्दान्तर्भूतकारि तार्थः प्राणवधपर्यायो भवतीतिभावनीयं १६ परभवसंकमकारकइति प्राणवियोजितस्यै वपरभवेसंक्रातिसङ्गावात् १७ दुर्गतौनरका दिकाया करं प्रभातयतीतिदुर्गतिप्रपातः दुर्गतौवाप्रपातोयस्मात्सतथा १८ पावकोवोयत्तिपापमपुण्यप्रकृतिरूपं कोपयतिप्रपंचयति पुनातिय: स पापकोuइतिश्रथवापापंचासौ कोपकार्यत्वात्कोपश्चेति पामकोपः चससुच्चये ११ पावलोभोत्तिपापमपुण्य लुभ्यति प्राणिनि मद्दणं१५ बोरमणं१६ परभवसंकामकार १७ दुग्गतिप्पवाओ१८ पावकोवोय१९ पावलोभोय२० विजाई १७ दुर्गतिपडवू जेथी १८ पापप्रकृतिनोविस्तारक १२ पापप्राणीयाने विषैलो में २० शरीरनोच्छेदवो२९ जीवितव्यनायंतनो

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