Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 13
________________ 黹業黹鍌鍌罴噐銎業鍌帣噐鍌鍌鍌柒噐業噐器 पिपासायाः वध्यं प्रतिस्न ेहरूपाया इतिनिपिपासः निर्गताकरुणादयायस्मादसौनिः कमणः निरयोनरकः सएवेवासो निरयवास स्तत्त्रगमनंतदेवनिधनं पर्यवसानं यस्य स निरयवासगमननिधन: तत्फलइत्यर्थः मोहोऽमूढता महाभयमतिभीतिस्तयोः प्रकर्षकः प्रव र्त्त कोयःसमोहमहाभयप्रकर्षकः क्वचिन्मोहमहाभयप्रवर्धक इतिपाठःमरणवेमणसोत्तिमरणेन हेतुनावैमनस्य दैन्यंदेहिनां यस्मात्समर णुवैमनस्यःप्रथममाद्यंम्टषावादादिद्वारापेक्षया अधर्महारमाश्रयद्वारमित्यर्थः तदेवमियताविशेषेण समुदायेनयादृश: प्राणिवधइतिद्दार मभिहित मधुनायन्त्रामेतिद्वारमभिधातुमाहतम्स त्यादितस्योक्तस्वरुपप्राणवधस्य चकारः पुनरर्थः नामान्यभिधानानीमानिवच्यमाण वासोणिक्कलुणो निरयवासगमयनिधणो मोहमहमयपयट्टो मरणवेमणसो पढमं श्रहम्मदार तस्मयइजाणिनामाणिगोखाणि ॐ' तितौसंतंजहापाणवह१ उम्मूलणासरीरा ओर वीसंमोहि रहितजेविणसवावांछैतेहप्रते पिपासानेहरूप जिदानथी दयारहितमागीनावधनोकर गाहा रनरकने वासपामवानोकेह डोळे मूढप णोमोटाभयनोकारण प्रवर्तावे मरणप्राणत्यागरूपेकरीवैमनदीनपणु जीवने' के पहिलं अधर्मद्वारतेप्राणवधना आगलक होस् नाम 張懟懟懟業 銎愨

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