Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 207
________________ अष्टम अध्ययन रामकृष्णा रामकृष्णा का भद्रोत्तरप्रतिमा तप १२–एवं रामकण्हा वि, नवर-भद्दोत्तरपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं तहा दुवालसमं कर इ, करेत्ता सम्वकामगुणियं पारइ। चोहसमं कर इ; करत्ता सव्वकामगुणियं पारइ। सोलसमं करेइ, करता सव्वकामगुणियं पारइ। अट्ठारसमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पार इ। वीस इमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पारे / सोलसमं करे इ, करत्ता सव्वकामगुणियं पारे। अद्वारसमं करेइ, करत्ता सव्वकामगणियं पारइ। वीसइमं कर इ, करत्ता सम्वकामगणियं पारे इ। दुवालसमं करे इ, करत्ता सम्बकामगुणियं पारे / चोहसमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पार इ / वीसइमं करे इ, करता सम्वकामगुणियं पारई। दुवालसमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पारई। चोइसमं कर इ, करता सम्वकामगुणियं पारेइ, / सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / अट्ठारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे / चोहसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारइ / अट्ठारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणिय पार इ / वीसइमं कर इ, करेत्ता सम्वकामगुणियं पारई। दुवालसमं कर इ, कोत्ता सम्वकामगुणियं पार इ। अट्ठारसमं कर इ, करेत्ता सव्वकामगणियं पारइ। वीस इमं कर इ, करेत्ता सव्वकामगणियं पारइ / दुवालसमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पारइ। चोद्दसमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पारेइ / सोलसमं करेइ, करेत्ता सवकामगुणियं पारे / ___ एक्काए कालो छम्मासा वीस य दिवसा। चउण्हं कालो दो वरिसा दो मासा वीस य दिवसा / सेसं तहेव जहा काली जाव' सिद्धा। आर्या काली की तरह आर्या रामकृष्णा का भी वृत्तान्त समझना चाहिए। विशेष यह कि रामकृष्णा प्रार्या भद्रोत्तर प्रतिमा अंगीकार करके विचरण करने लगी, जो इस प्रकार है पाँच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुण युक्त पारणा किया। यह प्रथम लता हुई। __ सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पाँच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुण युक्त पारणा किया। यह दूसरी लता हुई। नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पांच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके पाठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया / ___ यह तीसरी लता पूर्ण हुई / 1. वर्ग 8, सूत्र 3, 4. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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