Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 212
________________ दशम अध्ययन महासेनकृष्णा महासेनकृष्णा का आयंबिल-वर्धमान तप १४-एवं-महासेणकण्हा वि, नवर-आय बिलवड्डमाणं तवोकम्म उवसंपज्जिता गं विहरइ, तं जहा आयंबिलं करेइ, करता चउत्थंकर इ / बे आय बिलाई कर इ, करेत्ता चउत्थ करे। तिण्णि प्राय बिलाई कर इ, करता चउत्थ कर इ। चत्तारि प्राय बिलाइं कर इ, करत्ता चउत्थं करे इ। पंच प्राय बिलाई करे इ, करेत्ता चउत्थं करई। छ प्राय बिलाई कर इ, करेत्ता चउत्थ करे।। एक्कुत्तरियाए वड्डीए प्राय बिलाई वट्टति चउत्थतरियाई जाव प्राय बिलसय कर इ, करता चउत्थं कर इ। तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा प्राय बिलवड्डमाणं तवोकम्मं चोहसहि वासेहि तिहि य मासेहि वीसहि य अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव' पाराहेत्ता जेणेव प्रज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया, उवागच्छित्ता वंदइ नमसइ, बंदित्ता नमंसित्ता बहूहि चउत्थं जाव भावेमाणी विहरइ / तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा तेणं प्रोरालेणं जाव तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अईव-अईव उवसोहेमाणी चिठ्ठइ / तए णं तीसे महासेणकण्हाए अज्जाए अण्णया कयाइ पुवरत्तावरत्तकाले चिता जहा खंदयस्स, जाव प्रज्जचंदणं अज्ज प्रापुच्छइ / जाव' संलेहणा कालं अणवकंखमाणो विहरइ / तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता, बहुपडिपुण्णाई सत्तरस वासाई परियाय पालइत्ता, मासियाए संलेहणाए अप्पाणं भूसित्ता, सट्ठि भताई अणसणाए छेदित्ता जस्सट्ठाए कोरइ नग्गमावे जाव' तमढें आराहेइ, पाराहित्ता चरिमउस्सास-निस्सासेहि सिद्धा। संगहणी-गाहा अट्रय वासा पाई, एक्कोत्तरियाए जाव सत्तरस / एसो खलु परियानो, सेणियभज्जाण नायव्वो // 1 // इसी प्रकार महासेनकृष्णा का वृत्तान्त भी समझना। विशेष यह कि इन्होंने वर्द्ध मानआयंबिल तप अंगीकार किया जो इस प्रकार है 1. वर्ग 8, सूत्र 2. 3.4-5. वर्ग 8, सूत्र 4. 2. 6. वर्ग 5, सूत्र 6. वर्ग 5, सूत्र 6. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249