Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ 200] [उपासकदराांगसूत्र अन्न 6 our शब्द अणागलिय 107 अधर अणाढाइज्जमाण 216, 249 58, 111, 175, 184 प्रणाढायमाण 215 अन्नत्थ अणारिय 136, 145, 163 अन्नमन्न प्रणालत्त 58 अन्नया 63, 66, 73, 74, 88, 120, अणिक्खित्त 166, 185, 195, 241, 267 अणि? __ अपच्छिम 73, 79, 252, 259, 261 अणियय 168,169, 171 अपत्थिय 95, 97,132, 133, 142 अणुट्ठाण 169, 170, 171 अपरिग्गहिय 48 अणुप्पदा 58 अपरिजाणमाण 215 अणुप्पविस 111,262 अपरिजाणिज्जमाण अणुभाव अपरिभूय 3,8,125 अणुरत्त अपरियाण 247, 248 अणुराग 181,227 र 169, 170, 171, 198, 199 54 अणुवाय अप्प 10, 114, 190, 208 अणव्विग्ग असण अप्पउलिन अप्पडिलेहि अण्ह 55 175, 185, 192 अप्पमज्जिय प्रतत्थ अप्पाण 66, 76, 89,181 अंत 179 अप्पिय 261 अंतरा 66, 223 अप्फोडत अंतरद्धा अब्भक्खाण अंतलिक्ख 41, 111,168, 187, 192 अब्भंगण अंतिय 12, 13, 58,61, 78,86, 192, अब्भणुण्णाय 77, 78, 86 202, 204, 211, 223 अब्भुग्गय 101 अतुरिय 77, 78 अभियोग अंतेवासि 79, 259 अभिगज्जंत 95 अंतो 195, 255, 257 अभिगय 44, 64, 181, 213 अस्थि 73, 83,84, 85, 168, 169, अभिगिण्ह 58, 235 171, 192 /अभिग्गह 58, 235 अत्थेगइय 62, 89, 122 अभिभूय 218, 255, 257 अदिण्णादाण 15, 47 अभिमुह 218 अदूर अभिरुइय अद्दह 127, 130, 133, 227 अभिरूव 184 अभिलास 48 58 , प्रद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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