Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पटनं सतं - उदेतो
संकामिस्संति निहत्तिंसु निहत्तेति निहत्तिस्संति निकाएंसु निकायंति निकाइस्संति सब्बेसुवि कम्मदव्ववग्गण पहिकिन्च ११३1-13 (१७) भेदिया चिया उवचिया उदीरिया वेदिया य निजिण्णा
ओयण संकामण निहत्तण निकायणे तिविहकालो ॥४॥-4 (१८) नेरइया णं भंते जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेहंति ते किं तीतकालसपए गेण्हंति पडुप्पत्रकालसमए गेहंति अणागयकालसमए गेण्हंति गोयमा नो तीयकालसमए गेण्हंति पडुप्पन्नकालसमए गेहति नो अणागयकालसमए गेण्हंति नेरइया णं भंते जे पोग्गले तेयाकप्पत्ताए गहिए उदीरेति ते किं तीयकाल समयगहिए पोग्गले उदीरेति पडुप्पन्नकालसमए धेप्पमाणे पोग्गले उदीरेति गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेति गोयमा तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेति नो पडुप्पन्नकालसमए धेप्पमाणे पोग्गले उदीरेति नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेति एवं वेदेति निजरेति ।१४1-14
(१९) नेरइया णं भंते जीवाओ किं चलिय कम्मं बंधति अरलियं कम्मं बंधति गोयमा नो चलियं कम्मं बंधंति अरलियं कम्मं बंधति नेरइयाणं भंते जीवाओ किं वलियं कम्म उदीरेति अवलियं कर्प उदीरेंति गोयमा नो चलियं कामं उदीरेंति अचलियं कम्मं उदीरेति एवं वेदेति ओयट्टेति संकामेति निहतेति निकाएंति सच्चेसु अचलियं नो चलियं नेरइयाणं भंते जीवाओ किं चलियं कम्पं निजरेति अचलियं कम्मं निजरेति गोयमा चलिये कम्म निजरेति नो अचलियं कम्मं निज़रेंति ।१५1-15 (२०) बंधोदयवेदोयट्टसंकमे तह निहत्तणनिकाए
अचलिय-कम्मं तु भवे चलियं जीयाउ निजरए ॥५-5 (२१) एवं ठिई आहारो य भाणियब्यो ठिती जहा- ठितिपदे तहा भाणियव्वा सव्यजीवाणं आहारो वि जहा पत्रवणाए पढमे आहारुद्देसए तहा भाणियच्चो एतो आढत्तोनेरइया णं भंते आहारट्ठी जाव दुक्खताए भुजो-मुजो परिणमंति असुरकुमाराणं भंते केवइयं कालं ठिई पनत्ता गोयमा जहन्नेणं दस याससहस्साई उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं असुरकुमारा णं भंते केवइकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा गोयमा जहन्नेणं सत्तण्हं योवाणं उक्कोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आणति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा असुरकुपाराणं मंते आहारट्ठी हंता आहारट्ठी असुरकुमाराणं भंते केवइकालस्स आहारट्ठे समुप्पजइ गोयमा असुरकुमाराणं दुविहे आहारे पत्रत्ते तं जहा-आभोगनिव्वत्तिए य अनाभोगनिव्यत्तिए य तत्व णं जे से अनाभोगनिव्वत्तिए से अणुसमयं अविरहिए आहारट्टे समुप्पज्जइ तत्य णं जे से आभोगनिव्वत्तिए से जहन्नेणं घउत्थभत्तस्स उक्कोसेणं साइरेगस्स बाससहस्सस्स आहारट्टे समुप्पजइ असुरकुमारा णं मंते किमाहारमाहारेति गोयमा दव्वओ अनंतएसियाई दवाई खेत्तकालभावपण्णवखागमेणं सेसं जहा नेरइयाणं जाव ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो-मुजो परिणमंति गोयमा सोइंदियत्ताए सुरुयताए सुवण्णत्ताए इठ्ठत्ताए इच्छियत्ताए भिजियत्ताए उड्ढत्ताए नो अहत्ताए सुहत्ताए नो दुहताए भुजो-भुजो परिणमंति असुरकुमाराणं पुयाहारिया पुग्गला परिणया असुरकुमाराभिलावेण जहा नेरइयाणं जाय नो अचलियं कम्मं निजरंति नागकुमाराणं मंते केवइयं
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