Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पटमं सतं उद्देसो- १
A
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दियफासिंदियवेमायत्ताए मुजो भुञ्जो परिणमंति पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ठिझं भणिऊणं ऊसासो वेमायाए आहारो अनाभोग निव्वत्तिए अणुसमयं अविरहिओ आभोगनिव्वत्तिओ जहनेणं अंतोमुहूतस्स उक्कोसेणं छट्टभत्तस्स सेसं जहा चउरिदियाणं एवं मणुस्साणवि नवरं आभोगनिव्यत्तिए जहणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसणं अट्ठमयतस्सं सोइंदियवेमायत्ताए मुजोभुजो परिणमंति सेसं जहा चउरिदियणं वाणमंतराणं ठिईए नाणत्तं परिणमंति अवसेसं जहा नागकुमाराणं एवं जोइसियाणवि नवरं उत्सासो जहन्नेणं मुहुतपुहुत्तस्स उक्कोसेणवि मुहुत्त - पुहुत्तस्स आहारो जहणेणं दिवसपुहुत्तस्स उक्कोसेणचि दिवसपुहुत्तस्स सेसं तहेव, वेमाणियाणं ठिई भाणियव्वा ओहिया उसासी जहन्नेणं मुहुतपुहुत्तस्स उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं आहारो आभोगनिव्वत्तिओ जहणेणं दिवसपुहुत्तस्स उक्कोसेणं तेत्ती- साए वाससहरसाणं सेसं तहेव 1१६/- 18
(२२) जीवा णं भंते किं आयारंभा परारंभा तदुभयारंभा अणारंभा गोयमा अत्येगइया जीवा आयारंभा वि परारंभा वि तदुभयारंभा वि नो अणारंभा अत्येगइया जीवा नो आयारंभा नो परारंभा नो तदुभयारंभा अणारंभा से केणट्टेणं भंते एवं बुच्चइ - अत्थेगइया जीवा आयारंभा वि [परारंभा वि तदुभयारंभा वि नो अणारंभा प्रत्येगइया जीवा नो आयारंभा नो परारंभा नो तदुभयारंभा अणारंभा ] गोयमा जीवा दुविहा पन्नत्ता तं जहा संसारसमावण्णया य असंसार समावण्णा च तत्थ जे ते असंसारसमावण्णा ते जहा संसारसमावण्णगा य असंसारसमा
गाय तत्य णं जे ते असंसारसमावण्णगा ते णं सिद्धा सिद्धा णं नो आयारंभा जाव अणारंभा तत्थ णं जे ते संसारमावण्णगा ते दुबिहा पत्रत्ता तं जहा पमत्तसंजया यं अप्पमत्त असंजयाय तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजया ते णं नो आयारंभा जाव अणारंभा तत्थ णं जे ते प्रमत्तसंजया ते सुहं जोगं पडुन नो आयारंभा जाव अणारंभा असुभं जोगं पडुन आयारंभा वि जाब नो अणारंभा तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरतिं पडुच आयारंभा वि परारंभा वि तदुमयारंभा वि नो अणारंभा से तेणट्टेणं गोयमा एवं बुछइ अत्थेगइया जीवा आयारंभावि परारंमा वि तदुभयरंभा वि नो अणारंभा अत्येगइया जीवा नो आयारंभा नो परारंभा नो तदुभयारंभा अणारंभा, नेरइया णं भंते किं आयारंभा परारंभा तदुभयारंभा अणारंभा गोयमा नेरड्या आयारंभा वि परारंभा वि तदुभयारंभा वि नो अणारंभा से केणद्वेणं गोयना अविरतिं पडु से तेणेणं गोयमा एवं वुबइ-नेरइया आयारंभा वि जाच नो अणारंभा एवं जाव पंचिंदियातिरिक्खिजोगिया मणुस्सा जहा जीवा नवरं-सिद्धविरहिया माणियव्वा बाणमंतरा जोसिया वैमाणिया तहा नेरइया, सल्लेसा जहा ओहिया कण्हलेसस्स नीललेसस्स काउलेसस्स जहा ओहिया जीवा नवरं - पमत्ताप्यमत्ता न भाणियव्वा तेउलेसस्स पम्हलेसस्स सुक्कलेसस्स जहा ओहिया जीवा नवरं सिद्धा न माणियव्या 19७ - 17
(२३) इहभविए भंते नाणे परभविए नाणे तदुभयमविए नाणे गोयमा इहभविए वि नाणे परभविए वि नाणे तदुभयभविए वि नाणे [ इहभविए भंते दंसणे [ परभविए दंसणे तदुभयभविए दंसणे गोयमा इहभविए वि दंसणे परभविए वि दंसणे तदुभयमविए वि दंसणे ] इहमविए मंते चरिते [परभविए चरित्ते तदुभयभविए चरित्ते गोयमा इहमविए चरिते नो परभविए चरित्ते नो तदुभयभविए चरिते । इहभविए मंते तवे परभविए तवे तदुभयभविए
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