Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पागवई - 11-1988 संसए उप्पत्रकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे समुष्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उठाए उडेति उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद उवागछिता सपणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ कोत्ता बंदइ नमंसद वंदित्ता नमंसित्ता नधासत्रे नातिदूरे सुस्सुसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलिपुडे पशुवासमाणे एवं व्यासी- से नूर्ण भंते दलमाणे चलिए उदीरित्रमाणे उदीरिए येदिजमाणे वेदिए पहिजामाणे पहीणे छिन्नमाणे छिण्णे भिजमाणे भिण्णे दज्झमाणे दड्ढे भिजामाणे पए निजरिजमाणे निजिण्णे, हंता गोयमा चलमाणे चलिए उिदीरिजमाणे उदीरिए वेदिज्जमाणे वेदिए पहिज्जमाणे पहीणे छिज्जमाणे छिण्णे भिजमाणे भिण्णे दज्झमाणे दड्ढे मिजामाणे मए] निजरिज्जमाणे निजिणे 11-8 (१०) एए णं भंते नव पदा किं एगट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा उदाहु नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा गोयमा चलमाणे चलिए उदीरिजमाणे उदीरिए वेदिजमाणे वेदिए पहिजामाणे पहीणे-एए णं चतारि पदा एगट्ठा नाणाधोसा नाणावंजणा उप्पन्नपक्खस्स छिन्नमाणे छिण्णे भिजमाणे मिष्णे दज्झमाणे दडे मिजमाणे पए निजरिजमाणे निजिण्णे-एए णं पंच पदा नाणट्ठा नाणाधोसा नाणावंजणा विगयपक्खस्स ।९१-9 (११) नेरइयाणं भंते केवइयं कालं ठिती पत्रत्ता गोयमा जहन्नेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं तेत्तीसं सागरोयमाई ठिती पत्रत्ता नेरइया णं भंते केवइकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा जहा उस्सासपदे नेरइया णं भंते आहारही हंता गोयमा आहारट्ठी जहा पनवणाए पढमए आहारुद्देसए तहा भाणियव्यं-1901-10 (१२) ठिइ उस्सासाहारे किं वाऽऽहारेति सव्वाओ वावि कतिभागं सव्वाणि व कीस व भुलो परिणमंति -2 (१३) नेरइयाणं भंते पुवाहारिया पोग्गला परिणया आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परिणया अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया गोयमा नेरइयाणं पुवाहारिया पोग्गला परिणय आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परिणया परिणमंति य अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोगाला नो परिणया परिणमिस्संति अणाहारिया अणाहारिजिस्सामाणा पोग्गला नो परिणया नो परिणसमिस्संति 1991-11 (१४) नेरइयाणं भंते पुवाहारिया पोग्गला चिया पुच्छा जहा परिणया तहा चियावी एवं-उवविया उदीरिया वैइया निजिण्णा १२। -12 (१५) परिणय चिया उवचिया उदीरिया बेइया य निजिण्णा एककेकूकम्नि पदम्मि चउब्बिहा पोग्गला होति ॥३॥-3 (१६) नेरइया णं भंते कइविहा पोग्गला भिझंति गोयमा कम्मदव्यवग्गणमहिकिम्च दुविहा पोग्गला भिज॑ति तं जहा-अणू चेव बादरा चेव, नेरइया णं भंते कइविहा पोग्गला चिजंति गोयमा आहारदबवग्गणमहिकिछ दुविहा पोग्गला चिचंति तं जहा-अणू चेव बादरा वेव, एवं उवचिन्नति नेरइया णं भंते कइविहे पोग्मले उदीरति गोयमा कम्मदच्यवग्गणमहिकिन्छ दुविहे पोग्गले उदीरेंति तं जहा-अण चेव बादरा वेव, सेसावि एवं वेव माणियब्बा-येदेति निजरेंति एवं ओयडेसु ओयद्देति ओयहिस्संति संकामिंसु संकामेति For Private And Personal Use Only

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