Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 617
________________ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ भगवई सुत्त सलेस्सा णं भंते! पुढविकाइया, पुच्छा ? गोयमा ! एवं जं जं पयं अत्थि पुढवि- काइयाणं तहिं हिं मज्झिमे दो समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेंति, णवरं- तेउलेस्साए ण किं पि पकरेंति । एवं आउक्काइयाण वि, एवं वणस्सइकाइयाण वि । तेउकाइया वाउकाइया सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु णो णेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, णो मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति । बेइंदिय तेइंदिय चउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं, णवरं सम्मत्त - णाणेसु ण एक्कं पि आउयं पकरेंति । किरियावाई णं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा! जहा मणपज्जवणाणी । अकिरियावाई, अण्णाणियवाई, वेणइयवाई य चउव्विहं पि आउयं पकरेंति । जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि । कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावाई पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं णेरइयाउयं, पुच्छा? गोयमा! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, णो मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई, अण्णाणियवाई, वेणइयवाई, चउव्विहं पि आउयं पकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं णीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा। णवरंअकिरियावाई, अण्णाणियवाई, वेणइयवाई य णो णेरइयाउयं पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरेंति । एवं पम्हलेस्सा वि, एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा । कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहं पि आउयं पकरेंति । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा । सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवणाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेंति । मिच्छदिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एक्कं पि पकरेंति जहेव णेरइया । णाणी जाव ओहिणाणी जहा सम्मदिट्ठी । अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया । सेसा जाव अणागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा | जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साण वि भाणियव्वा, णवरंमणपज्जवणाणी, णोसण्णोवउत्ता य जहा सम्मदिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा । अलेस्सा, केवलणाणी, अवेयगा, अकसायी, अजोगी, य एए एगं पि आउयं ण पकरेंति, जहा ओहिया जीवा । सेसं तहेव । वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । किरियावाई णं भंते! जीवा किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया? गोयमा ! भवसिद्धिया, णो अभवसिद्धिया । अकिरियावाई णं भंते ! जीव किं भवसिद्धिया, पुच्छा ? गोयमा ! भवसिद्धिया वि, अभवसिद्धिया वि । एवं अण्णाणियवाई वि, वेणइयवाई वि । सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं भवसिद्धिया, पुच्छा? गोयमा! भवसिद्धिया, णो अभवसिद्धिया | 607

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