Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 626
________________ 13 ४ ६ ७ ८ १ भगवई सुत्त अं अवान्तर सतं १-११ उद्देसो कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया । कण्हलेस्सा णं भंते ! पुढविकाइया कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहासुहुमपुढविकाइया य, बायरपुढविकाइया य । कण्हलेस्सा णं भंते! सुहुमपुढविकाइया कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं चक्क ओभेओ जहेव ओहिय उद्देसए जाव वणस्सइकाइय त्ति । कण्हलेस्सअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! एवं चेव एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिय उद्देसए तहेव पण्णत्ताओ, तहेव बंधंति, तहेव वेदेंति ॥ सेवं भंते! सेवं भंते ! || कइविहा णं भंते! अणंतरोववण्णग- कण्हलेस्स- एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववण्णगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता । एवं एएणं अभिलावेणं तहेव दुयओ भेओ जाव वणस्सइकाइय त्ति । अणंतरोववण्णग-कण्हलेस्स-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते! कइ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा! एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहिओ अणंतरोववण्णगाणं उद्देसओ तहेव जाव वेदेंति ॥ सेवं भंते! सेवं भंते ! ॥ कइविहा णं भंते ! परंपरोववण्णगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववण्णगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया । एवं एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कओ भेओ जाव वणस्सइकाइय त्ति । परंपरोववण्णग-कण्हलेस्स-अपज्जत्त - सुहुम पुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ। गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ परंपरोववण्णग उद्देसओ तहेव जाव वेदेंति । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहियएगिंदियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहेव कण्हलेस्स-सए वि भाणियव्वा जाव चरिमअचरिमकण्हलेस्सा एगिंदिया | ॥ १-११ उद्देसो समत्तो ॥ तेत्तीसइमं सतं ३-१२ अवान्तर सताइं जहा कण्हलेस्सेहिं भणियं एवं णीललेस्सेहि वि सयं भाणियव्वं ॥ सेवं भंते! सेवं भंते ! ॥ एवं काउलेस्साहि वि सयं भाणियव्वं, णवरं 'काउलेस्से' ति अभिलावो भाणियव्वो। 616

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