Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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भगवई सुत्त मिल्ले चरिमंते अपज्जत्तसुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए? गोयमा! एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमो उद्देसओ जाव लोगचरिमंतो त्ति।जावकहिं णं भंते! परंपरोववण्णग-पज्जत्तगबायर-पुढविकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु। एवं एएणं अभिलावेणं जहा पढमे उद्देसए जाव तुल्लडिईय ति॥ सेवं भंते! सेवं भंते!॥ एवं सेसा वि अट्ठ उद्देसगा जाव अचरिमो त्ति । णवरं-अणंतरा, अणंतरसरिसा; परंपरा, परंपरसरिसा; चरमा य अचरमा य एवं चेव । एवं एए एक्कारस उद्देसगा |
॥ पढमं अवान्तर सतं समत्तं ॥
चोत्तीसइमं सतं
२-१२ अवान्तर सताई
कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता, भेओ चउक्कओ जहा कण्हलेस्सएगिदियसए जाव वणस्सइकाइयत्ति। कण्हलेस्सअपज्जत्तसुहमपुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरत्थि-मिल्ले, पुच्छा? गोयमा! एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहियउद्देसओ जाव लोग चरिमंते त्ति । सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु चेव उववाएयव्वो । कहिं णं भंते ! कण्हलेस्सअपज्जत्तबायरपुढविकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा! एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहियउद्देसओ जाव तुल्लट्ठिइय त्ति । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमं सेढिसयं तहेव एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा ||सेवं भंते ! सेवं भंते ! || एवं णीललेस्सेहि वि तइयं सयं । काउलेस्सेहि वि एवं चेव चउत्थं सयं | भविसिद्धियएगिदिएहि वि सयं पंचमं । कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! जहेव ओहियउद्देसओ।
कडविहा णं भंते ! अणंतरोववण्णगा कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! जहेव अणंतरोववण्णगउद्देसओ ओहिओ तहेव ।
कइविहा णं भंते! परंपरोववण्ण-कण्हलेस्स-भवसिद्धियएगिंदिया पण्णत्ता? गोयमा! पंचविहा परंपरोववण्ण-कण्हलेस्स-भवसिद्धिय-एगिंदिया पण्णत्ता-एवं भेओ चउक्कओ जाव वणस्सइकाइय त्ति ।। परंपरोववण्ण-कण्हलेस्स-भवसिद्धिय-अपज्जत्तसुहमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए, पुच्छा ? गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ उद्देसओ जाव लोगचरमंते त्ति। सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयव्वो |
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