Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 616
________________ १७ |१८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ भगवई सुत्त अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, णो मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति । कण्हपक्खिया णं भंते ! जीवा अकिरियावाई किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा ! णेरड्याउयं पि पकरेंति एवं चउविहं पि । एवं अण्णाणियवाई वि, वेणइयवाई वि। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा । सम्मदिट्ठी णं भंते ! जीवा किरियावाई किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया । सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा अण्णाणियवाई किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? जहा अलेस्सा। एवं वेणइयवाई वि । णाणी आभिणिबोहियणाणी य, सुयणाणी य, ओहिणाणी य जहा सम्मट्ठी । मणपज्जवणाणी णं भंते ! पुच्छा ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं, णो मणुस्साउयं पकरेंति, देवाउयं पकरेंति । जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा ! णो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, णो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, णो जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति । केवलणाणी जहा अलेस्सा । अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया । सण्णासु चउसु वि जहा सलेस्सा । णोसण्णोवउत्ता जहा मणपज्जवणाणी । सवेयगा जाव णपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा । अवेयगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा । अकसा जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा । अजोगी जहा अलेस्सा । सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा । किरियावाई णं भंते ! णेरइया किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई णं भंत! णेरइया, पुच्छा ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति । एवं अण्णाणियवाई वि, वेणइयवाई वि। सलेस्सा णं भंते ! णेरड्या किरियावाई किं णेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा ? गोयमा ! एवं सव्वे वि णेरड्या जे किरियावाई ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावाई, अण्णाणियवाई, वेणइयवाई ते सव्वट्ठाणेसु वि णो णेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणि-याउयंपि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति, णवरं- सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहि वि समोसरणेहिं ण किंचि वि पकरेंति जहेव जीवपए । एवं जाव थणियकुमारा जहेव णेरइया । अकिरियावाई णं भंते! पुढविक्काइया, पुच्छा ? गोयमा! णो णेरड्याउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति । एवं अण्णाणियवाई वि। 606

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