Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar
Publisher: Jindas Mahattar
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RAMITALIRAHUHIROMANIMA
श्रीमूत्रक
बन्धनादि परिणामाः
ताङ्गचूर्णिः ॥१२॥
MARAHI
iframmamminalNARImammiNIRAHTIHnimammon suman simmun rumen,
तं अचक्खुफासियं जहा दुपदेसियाणं परमाणुपोग्गलाणं एवमादीणं जं संघातेणं भेदेन वा करणं उप्पजति तं ण दीसति छ उमत्थेणंति तेण अचक्खुफासियं, वादरपरिणतस्स अणंतपदेसियस चक्खुफासियं भवति, तेसिं दसविधो परिणामो, तंजहा-बंधणगतिसंठाणे भेदे गंधरसवण्णफासे य । अगुरुअलहुपरिणामे दममेविय सद्दपरीणामे ॥१॥ बंधणपरिणामे दुविधे पण्णत्ते-णिद्धवंधणपरिणामे य लुक्वबंधणपरिणामे य, 'निद्धस्स निद्रेण दुआहिएणं, लुक्खस्स लुक्खेण दुआहिएणं । णिद्धस्स लुक्खेण उवेति बंधो, | जहण्णवजो बिसमो समो वा ॥१॥ समणिद्धताएँ बंधो ण होति समलुक्खिताएविण होइ । वेमायणिद्धलुक्खत्तणेण बंधो तु खंधाणं ॥२॥ गतिपरिणामो तिविहो उक्कोसजहण्णमज्झिमो चेत्र । लोगंता लोगंतं गमणं एगेण समयेणं ॥३॥ तहय पदेसि पदेमा जहण्णसमएण होति संकंती । अजहण्णमणुक्कोसो तेण परं खेतकाले य ॥ ४॥ एमेव य गंधाणं गतिपरिणामो जहण्णमुक्कोसो। कालो जहण्णतुल्लो उक्कोसेणं असंखेजो ॥ ५॥ समयादी संखेजो कालो उक्कोसएण उ असंखो। परमाणूखंधाण य ठितीय एवं परीणामो ॥६॥ परिमंडले य वट्टे तसे चउरंस आयते चेव । संठाणे परिणामो सहणित्थत्थेण छम्मेया ॥७॥ पयरघणा सव्वेसि सेढी मूदी य आयत विसेसो। सव्वे ते दुविहा ( जुम्मओज) पदेसुक्कमगजहण्णा ॥८॥ माणु परिमंडलस्स उ सव्वेसि जहण्णमोयजुम्मगमा । उक्कोस जहणं पुण पदेस उग्गाहणकमेणं ।। ९॥ गंतपदेसुक्कोसं | तह यमसंखप्पदेसमोगाढं। वीमा चत्तालीमा परिमंडलि दो जहण्णगया ॥१०॥ पंचग वारसगं खलु सत्त य बत्तीसगं च | वर्दृमि । तिय छक्कग पणतीसा चत्तारि य होइ नसंमि ॥ ११॥ णव चेव तहा चउरो सत्ताबीसा य अट्ठ चउरंसे । तिगदुगपणरस छक्कं पणयाला वा चरिमयस्स ॥१२॥ एसो संठाणगमो पएसओगहणापडिद्दिट्ठो। दुगमादीसंयोगो हबति अणित्थत्थसंठाणं
TODMITHIBIAPalmniaNARIHAR
RANAPAR

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