Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Motichand Maganchand Choksi

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Page 11
________________ ___ उपरोक्त दोनो टीकाओ के आधार पर स्वर्गस्थ गणि श्री बुद्धिमुनिजी महाराज ने अत्यंत परिश्रम करके संपादन किया है र अस्वस्थ होने पर भी फारम का खदही संशोधन करते थे. एवं पंडित कपुरचंदजी वारया को भी तबिः ।। यत की ज्यादा अस्वस्थता के कारण संशोधन के लिए विए गये थे. ज्यादा सावधानी रखने पर भी यदि कोई त्रुटीयां रह गई हो सो सुज्ञ वाचक वर्ग सुधार के पढे एही प्रार्थना है. ज्ञानवृद्धि के हेतु से उपरोक प्रतियो को प्रदान करने में जीन जीन महाशयो ने सहायता दी है वह धन्यवाद के पात्र है. श्री देवचंद लालभाई ट्रस्ट के कार्यवाहक श्रीयुत् केशरी चंदजी हीराचंदजी के द्वारा प्रस्तावना आदि लिखने की सूचना मिलने पर 'निवेदन' मैंने लिखा है. एवं गणि श्री बुद्धिमुनि जी महाराज के शिष्य जयानंदमुनिने भी मूलस्त्र की अकारादि परिशिष्ट | सथा दीपिकागत सुभाषित गद्य पद्य संग्रह लिखने में भी प्रयत्न किया है। अतः संपादक महाशयजी का परिश्रम को ग्रंथ पठनपाठन करके ज्ञानवृद्धि साथ सफल करे. इति शुभेच्छा । ठि. माधवलाल बाबु निवेदक :धर्मशाला-पालीताणा. उपाध्याय श्री सुखसागरजी म. के शिष्य सं. २०१८ कार्तिक शुक्ल ११ मुनि मङ्गलमागर

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