Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Motichand Maganchand Choksi

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Page 12
________________ पत्रांक पत्रांक मुटुं जहेयं तिरिय उई अहेयं वि०विनायक एएहिं दोहि ठाणेहि १०७ एतेहिं दोहिं ठाणेहिं० एगंतमेवं अदुवावि० एवं ग मिजति न संसा एवं म्हं पचक्खंताण. ११४ १२९ एवं एगे पागम्भिता एवं से भिक्खु पिरप० एत्थ वि सिवा एत्थ० एवं से भिक्खु धम्मस्थी. एवामेव ते इस्थिकामेहिं० एवामेव समणुगम्म० [एवं] ओसहीणं बचा एवं खलु भगवया० एवं से मिक्स चिरते. एपहिं दोहि ठाणेहि 6mmu WAN किट्टिए नाए समणासो० किरियाइ वा अकिरि० किरियासि वा जाव. कल्लाणे पाषए वा वि० कि तेसि तहप्पगा. गंता व उत्था अदुवा.

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