Book Title: Adhyatma Kalpdrum
Author(s): Tattvaprabhvijay
Publisher: Jinprabhsuri Granthmala

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Page 14
________________ सकलशास्त्रारविन्दप्रद्योतनमहोपाध्याय-श्रीकल्याणविजय-गणिशिष्योपाध्याय ___श्रीधनविजयगणिविरचितया अधिरोहण्याख्यया, तथाअकब्बरशाहीहृदयालवालस्थितकृपाकल्पवल्लीपोषणव्रतालकृपारसकोशकरणादिवृत्तान्तविश्रुतश्रीशान्तिचन्द्रगणि-शिष्यरत्नोपाध्याय-श्रीरत्नचन्द्रगणिविरचितया अध्यात्मकल्पलताख्यया च वृत्त्या युतः ।। श्रीतपोगच्छनायक-परमभट्टारक-सहस्रावधानधारि-मारिनिवारक श्रीमुनिसुन्दरसूरिनिर्मितः (3 श्रीअध्यात्मकल्पद्रुमः ) ... । ग्रन्थपीठिका | धनवि.-ऐं नमः । श्रीगुरुभ्यो नमः । टीकाकृन्मङ्गलम् - [१] ॐनमः परमाप्ताय, परमार्हन्त्यशालिने । परब्रह्मस्वरूपाय, सर्वानन्दाय तायिने ।।१।। [२] भारति ! त्रिपुरे ! कामरूपे ! निरूपमाकृते ! । चान्द्रीकलेव मच्चेतस्तमःस्तोमभिदे भव ।।२।। [३] उपासिताः स्तुता ध्याताः, कामिते कल्पपादपाः | सर्वागमज्ञा गुरवः, सुप्रसन्ना भवन्तु मे ।।३।। [४] सकलागममाणिक्यपरीक्षादक्षचेतसः । ... शब्दार्थनिष्कनिकषाः, सन्तु सन्तोऽत्र वत्सलाः ।।४।। [५] कीटिका किं करीन्द्रेण ?, मक्षिका किं गरुत्मता ? | तथा मन्दमनीषोऽपि, हस्यते किं बुधैरहम् ? ||५||

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