Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. ख. जंक्षीपना दरवाजाने साहामा चारे कोरे दोरी बंट सर्व असंख्याता डीप स मुजनां दरवाजा ले ते सर्वछीप समुमोना दरवाजानां नाम एना एहिज जाणवा. 6 बहे बोले वर्षधरक्षेत्र कहे. एक जरत, बीजो हेमवंत युगलक्षेत्र, त्रीजो हरिवास युगलक्षेत्र, चोथो ऐरवंतक्षेत्र, पांचमो ऐरण्यवंत युगल क्षेत्र, हो रम्यकयुगलक्षेत्र,श्रने सातमो माहाविदेह क्षेत्र ए सात जंबूझीपमा तथा धातकीखममां एथी बमणा चौदवर्ष धर क्षेत्र ने अने पुष्कराईमां पण धातकीनी पेरे चौद वर्षधर सर्व मली अढी ही पमा पांत्रीश वर्षधर देत्र , एनी लंबा पोहोलाश्नां प्रमाण श्रागल कहेशे. ___7 सातमे बोले वर्षधर पर्वत कहे वे एक हेमवंत, बीजो महादेमवंत,त्रीजो निषध, चोथो शिखरी, पांचमो रूपी. बहो नीलवंत, अने सातमो मेरु ए सात जंबहीपमा अने धातकी खंममा ए थकी बमणा चौद ले. ते सर्व जंबुद्धीपना वर्षधर प्रमाणे उंचा ले पण लंबाश्मां चार चार लाख योजन हवे पोहोलपणो कहे. बे हेमवंत श्रने बे शि खरी ए चार पर्वत बे हजार एकसो पांच योजन अने 5 नाग. तथा बे महा हेमवंत भने बे रूपी ए चार पर्वत आठ हजार चारशो एकवीश योजन श्रने 1 नागले. तथा बे निषध अने बे नीलवंत ए चार पर्वत तेत्रीश हजार बशें चोराशी योजन उपर 4 जाग ले. हवे पुष्कराईमां पण जंबूहीपथी बमणा वध्या तेवारे चौद पर्वत थया ते सर्वे संबाश्मां श्राउ लाख योजन प्रमाणे अने पोहोलाश्मा जेटला डे ते कहेले. बे हेम वंत तथा बे शिखरी ए चार पर्वत चार हजार बशें दश योजन अने 10 नाग . त था बे महादेमवंत अने बे रूपी ए चार पर्वत शोल हजार थाठसे बैंतालीश योजन उपर 2) नाग . तथा बे निषध अने बे नीलवंत मली चार पर्वत शमशठ हजार त्रणसे श्रमशठ योजन उपर नाग बे. हवे पांच मेरुनो जंचपणो तथा पहोल पणो कहेले. प्रथम जंबंछीपनो मेरु एक हजार योजन धरतीमा जंडो ने श्रने नवाणुं हजार योजन उपर उंचो सरवाले लाख योजन उंचो ने मेरुना मूलना देग्ला बेहेमाथी समजूतल पृथ्वी एक हजार योजन ऊंची बे. तथा समनूतलथी वली पांचशे योजन ऊंचुं नंदनवन . तथा नंदनवनथी शाडा पाशठ हजार योजन ऊंचुं सोमनस वन तथा सोमनसवनथी बत्रीश हजार योजन उंचुं पंमुक वनडे. एरीते एक लाख योजन उचपणानां थया अने उपर चालीश योज न उंची चूलीका ले ते चोटली सरखी ले ए मेरुनो उंचपणो कह्यो. हवे पोहोलपणो कहे. मूल धरतीमां दशहजार ने नेवं योजन उपर एक योजननां श्रगीयार नाग क रीये तेवा दस नाग एटडं पोहोल पणे. पनी त्यांथी प्रदेशे प्रदेशे घटतां घटतां सम जूतल पागल बराबर दशहजार योजननो पहोल पणे थयो बे. तथा नंदनवन पासे

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