Book Title: Acharya Hemchandra Ek Yugpurush Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_3_001686.pdf View full book textPage 5
________________ ६४ आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष नदियों को बहाने में भी नहीं चूकते और देश उजाड़ हो जाता है। सोमनाथ के पवित्र देवालय का नष्ट होना इसका ज्वलन्त प्रमाण है। दक्षिण में धर्म के नाम पर जो संघर्ष हुआ उनमें हजारों लोगों की जाने गयीं। यह हवा अब गुजरात की ओर बहने लगी है, किन्तु हमें विचारना चाहिये कि यदि गुजरात में इस धर्मान्धता का प्रवेश हो गया तो हमारी जनता और राज्य को विनष्ट होने में कोई समय नहीं लगेगा। आगे वे पुनः कहते हैं कि जिस प्रकार गुजरात के महाराज्य के विभिन्न देश अपनी विभिन्न भाषाओं, वेशभूषाओं और व्यवसायों को करते हुए सभी महाराजा सिद्धराज की आज्ञा के वशीभूत होकर कार्य करते हैं, उसी प्रकार चाहे हमारे धार्मिक क्रियाकलाप भिन्न हों फिर भी उनमें विवेक-दृष्टि रखकर सभी को एक परमात्मा की आज्ञा के अनुकूल रहना चाहिये। इसी में देश और प्रजा का कल्याण है। यदि हम सहिष्णुवृत्ति से न रहकर, धर्म के नाम पर यह विवाद करेंगे कि यह धर्म झूठा है और यह धर्म सच्चा है, यह धर्म नया है यह धर्म पुराना है, तो हम सबका ही नाश होगा। आज हम जिस धर्म का आचरण कर रहे हैं, वह कोई शुद्ध धर्म न होकर शुद्ध धर्म को प्राप्त करने के लिये योग्यताभेद के आधार पर बनाए गए भिन्न-भिन्न साम्प्रदायिक बंधारण मात्र हैं। हमें यह ध्यान रहे कि शस्त्रों के आधार पर लड़ा गया युद्ध तो कभी समाप्त हो जाता है, परन्तु शास्त्रों के आधार पर होने वाले संघर्ष कभी समाप्त नहीं होते, अत: धर्म के नाम पर अहिंसा आदि पाँच व्रतों का पालन हो, सन्तों का समागम हो, ब्राह्मण, श्रमण और माता-पिता की सेवा हो, यदि जीवन में हम इतना ही पा सकें तो हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।" हेमचन्द्र की चर्चा में धार्मिक उदारता और अनुदारता के स्वरूप और उनके परिणामों का जो महत्त्वपूर्ण उल्लेख उपलब्ध है वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि कभी हेमचन्द्र के समय में रहा होगा। हेमचन्द्र और गुजरात की सदाचार-क्रान्ति . हेमचन्द्र ने सिद्धराज और कुमारपाल को अपने प्रभाव में लेकर गुजरात में जो महान् सदाचार क्रान्ति की वह उनके जीवन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है और जिससे आज तक भी गुजरात का जनजीवन प्रभावित है। हेमचन्द्र ने अपने प्रभाव का उपयोग जनसाधारण को अहिंसा और सदाचार की ओर प्रेरित करने के लिये किया। कुमारपाल को प्रभावित कर उन्होंने इस बात का विशेष प्रयत्न किया कि जनसाधारण में से हिंसकवृत्ति और कुसंस्कार समाप्त हों। उन्होंने शिकार और पशु बलि के निषेध के साथ-साथ मद्यपान निषेध, द्यूतक्रीड़ा-निषेध के आदेश भी राजा से पारित कराये। आचार्य ने न केवल इस सम्बन्ध में राज्यादेश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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