Book Title: Acharya Hemchandra Ek Yugpurush Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_3_001686.pdf View full book textPage 7
________________ आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष सुख-दुःख का ध्यान रखना है। हेमचन्द्र राजगुरु होकर जनसाधारण के निकट सम्पर्क में थे। एक समय वे अपने किसी अति निर्धन भक्त के यहाँ भिक्षार्थ गए और वहाँ से सूखी रोटी और मोटा खुरदुरा कपड़ा भिक्षा में प्राप्त किया। वही मोटी रोटी खाकर और मोटा वस्त्र धारण कर वे राजदरबार में पहुँचे। कुमारपाल ने जब उन्हें अन्यमनस्क, मोटा कपड़ा पहने दरबार में देखा, तो जिज्ञासा प्रकट की, कि मुझसे क्या कोई गलती हो गई है? आचार्य हेमचन्द्र ने कहा -- "हम तो मुनि हैं, हमारे लिये तो सूखी रोटी और मोटा कपड़ा ही उचित है। किन्तु जिस राजा के राज्य में प्रजा को इतना कष्टमय जीवन बिताना होता है, वह राजा अपने प्रजा-धर्म का पालक तो नहीं कहा जा सकता। ऐसा राजा नरकेसरी होने के स्थान पर नरकेश्वरी ही होता है। एक ओर अपार स्वर्ण-राशि और दूसरी ओर तन ढकने का कपड़ा और खाने के लिये सूखी रोटी का अभाव, यह राजा के लिये उचित नहीं है।" कहा जाता है कि हेमचन्द्र के इस उपदेश से प्रभावित हो राजा ने आदेश दिया कि नगर में जो भी अत्यन्त गरीब लोग हैं उनको राज्य की ओर से वस्त्र और खाद्य-सामग्री प्रदान की जाये। ___ इस प्रकार हम देखते हैं कि हेमचन्द्र यद्यपि स्वयं एक मुनि का जीवन जीते थे किन्त लोकमंगल और लोकल्याण के लिये तथा निर्धन जनता के कष्ट दूर करने के लिये वे सदा तत्पर रहते थे और इसके लिये राजदरबार में भी अपने प्रभाव का प्रयोग करते थे। समाजशास्त्री हेमचन्द्र ___ स्वयं मुनि होते हुए भी हेमचन्द्र पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन की सुव्यवस्था के लिये सजग थे। वे एक ऐसे आचार्य थे, जो जनसाधारण के सामाजिक जीवन के उत्थान को भी धर्माचार्य का आवश्यक कर्तव्य मानते थे। उनकी दृष्टि में धार्मिक होने की आवश्यक शर्त यह भी थी कि व्यक्ति एक सभ्य समाज के सदस्य के रूप में जीना सीखे। एक अच्छा नागरिक होना धार्मिक जीवन में प्रवेश करने की आवश्यक भूमिका है। अपने ग्रन्थ 'योगशास्त्र' में उन्होंने स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया है कि श्रावकधर्म का अनुसरण करने के पूर्व व्यक्ति एक अच्छे नागरिक का जीवन जीना सीखे। उन्होंने ऐसे ३५ गुणों का निर्देश किया है, जिनका पालन एक अच्छे नागरिक के लिये आवश्यक रूप से वांछनीय है। वे लिखते हैं कि - "१. न्यायपूर्वक धन-सम्पत्ति को अर्जित करने वाला, २. सामान्य शिष्टाचार का पालन करने वाला, ३. समान कुल और शील वाली अन्य गोत्र की कन्या से विवाह करने वाला, ४. पापभीरु, ५. प्रसिद्ध देशाचार का पालन करने वाला, ६. निन्दा का त्यागी, ७. ऐसे मकान में निवास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11