Book Title: Acharya Hemchandra
Author(s): V B Musalgaonkar
Publisher: Madhyapradesh Hindi Granth Academy

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ जीवन-वृत्त तथा रचनाएं अभिलेख में उद्धृत तिथि के अनुसार यह घटना ई० ६४१ के आसपास घटी होगी। मूलराज की पूर्वतम ज्ञात तिथि यही है । मूलराज ने कच्छ को जीता, सौराष्ट्र में गृहरिपु को बन्दी बनाया और लाट, शाकम्भरी तथा अनेक राजाओं से युद्ध किया। मूलराज शिवभक्त था। उसने अनेक शिव मन्दिरों का निर्माण कराया। विद्वानों का आदर करना उसका व्यसन था। श्री क० मा० मुन्शी के अनुसार मूलराज ने सहस्रों ब्राह्मणों को सिद्धपुर में बसने के लिये बुलाया था। स्वाभाविक ही है कि वे अपना साहित्य वहाँ ले आये और उन्होंने अपनी विद्वत्ता का यहाँ परमोत्कर्ष किया। ताम्रदान-पत्र में विक्रम सं० १०५१ अन्तिम तिथि मिलती है । मूलराज इस तिथि से एकाध वर्ष बाद मरा होगा । मूलराज ने "त्रिपुरुष प्रासाद" नामक शिव मंदिर बनवाया । प्रबन्ध-चिन्तामणि के अनुसार मूलराज ने "श्री मूलराज वसहिका" नामक जैन मन्दिर भी बनवाया। राजा ने ५५ वर्ष तक निष्कंटक राज्य किया। . फिर चामुण्डराज ने १३ वर्ष तक तथा उसके पुत्र वल्लभराज ने ६ मास तक राज किया । पराक्रमी होने से उसे 'जगत् झंपन' कहा जाता था। फिर उसका छोटा भाई दुर्लभराज ११ वर्ष तक राज्य करता रहा। यह भी ब्राह्मणों का तथा शिव का भक्त था। इसने 'दुर्लभ सर' नामक सरोवर बनवाया। फिर उसके भाई नागराज का लड़का भीम राजा हुआ। दुर्लभराज ने धवल-गृह राज्य-प्रासाद बनवाया, 'व्ययकरण हस्ति शाला' बनवाई । दुर्लभराज ने १२ वर्ष राज्य किया। भीम (१०२१-६४ ई.) ने लगभग ४२ वर्ष राज्य किया। भीम ने कलचुरि लक्ष्मीकर्ण से सन्धि कर मालवा को हराया था। फिर भीम ने लक्ष्मीकर्ण को भी हराया। इसके राज्य में भी विद्या एवं कला की उन्नति हुई। भीम के पुत्र कर्ण ने ई० सन् १०६४ से १०६४ तक लगभग ३० वर्ष राज्य किया। इसके राज्य पर परमारों ने फिर विजय प्राप्त करली थी। कर्ण अपने पिता के समान ही महापराक्रमी थे । कर्ण ने अनेक निर्माण कार्य किये । उसने कर्णावती नाम का नगर बसाया जहां आज अहमदाबाद स्थित है। कर्ण ने अनेक १ वैदिक संस्कृति चा विकास -ले० तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोषी महावीर निर्वाण ५२७ ई. पू. विक्रमकाल से ४७० वर्ष पूर्व ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 222