Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 01 Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 8
________________ प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर )ना व्यवस्थापक श्री छगनलालमाई जे खंत अने उत्साह बताव्या के तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्या छ.. चरम तीर्थपति श्रमण. भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. ओ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने अजवालनारो बने ते माटे योग्यता अने अधिकार मुजब जिनवाणीनी उपासना-भक्तिमा मावोचाल पूर्वक रस लइ रह्यो छुते टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल पनी खेज मारा अंतरनी शुम भावना छे. बीर सं० २५०५ वि० सं० २०३५ कार्तिक सुर १ बुधवार हालारी बीशा भोसवाल तपगच्छ जन उपाश्रय, ४५ दिग्विजय प्लॉट, जामनगर हालारदेशोद्धारक कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो चरण सेवक पं० जिनेन्द्रविजय गणीPage Navigation
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