Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 01 Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 7
________________ १० (४) छेदस्त्रो-६ (५) मूल सूत्रो-४ (६) चूलिकासूत्रो-२. आ स्त्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वचे तेमाटे उपयोगी बने ते रीते ४५ मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमा सलंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी. ते योजना मुजब ४५ आगमसूत्रो १४ विभागमा संपादन थइ रह्यां के जेमाथी १२ भाग प्रगट थइ गया छ. उपरांत ते योजना साथे ४ आगम सटीक प्रगट करवानु राखेल के. जेमाथी श्री उपासकदशा श्री अंतकदशा श्री अनुत्तरोपपातिक दशा सटीक प्रगट थया छ, अने श्री आचारांग सूत्र सटीकनो प्रथम भाग प्रगट थाय के. आ सूत्रना संपादनमा पू० आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री सागरानंदसरीश्वरजी म. संशोधित श्री आगममंजूषा, पाबु श्री धनपतसिंहजी द्वारा प्रकाशित सटीकसूत्र तथा बे हस्तप्रतो आदि नो उपयोग कयों के. टीकाओमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौशमा आपेला छे. 'ज्ञानधनाः साधवः' अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोर्नु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे अने अ आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे. अने भविष्यमा ४५ आगमो अंगे प्रात पञ्चांगीन संपादन करवानी भावना पण छे.Page Navigation
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