Book Title: Abhidhan Rajendra kosha Part 7
Author(s): Rajendrasuri
Publisher: Abhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha

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Page 10
________________ साथ ही संयमवयःस्थविर मुनिराज श्री शांतिविजयजी महाराज आदि मुनिडमल तथा विदुषी साध्वी श्री गंभीरश्रीजी, साध्वीनी श्री लावण्यश्रीजी आदि साध्वी मंडल के द्वारा जो सहयोग हमें प्राप्त हुआ है, वह अबिस्मरणीय है । इसी के साथ थराद निवासी और अहमदाबाद के व्यवसायो परम गुरुभक्त जैनरत्न श्रेष्ठिवर्य श्री गगलदास हालचन्द्र भाइ का स्मरण करना भी हम अपना कर्त्तव्य समझते हैं ? उनका अथक श्रम इस प्रकाशन के पीछे रहा हुआ है ! श्रीमान गगलभाइ लगभग पचास वर्ष से श्री संघ की विभिन्न गतिविधियों में भाग ले कर तन-मन-धन से अपना सक्रिय सहयोग समय समय पर देते रहे हैं ! दयानिधि परमपूज्य गुरुदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में मनाये गये श्रीमद् राजेन्द्रसूरि अर्द्ध शताब्दी उत्सव (मोहनखेड़ा तीर्थ ) में उत्सव समिति के अध्यक्ष पद का कार्य भार निष्ठापूर्वक सम्हाल कर आपने अपना अपूर्व योगदान दिया है । अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन सभा के अध्यक्ष पद के अतिरिक्त श्री सौधर्म बृहत्तपोगच्छीय त्रिस्तुतिक संघ अहमदाबाद के अध्यक्ष पद, अखिल भारतीय सौधर्म बृहत्तपोगच्छीय संघ के अध्यक्ष पद, श्री सुवर्णगिरि तीर्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष पद, श्री यतीन्द्र भवन जैन धर्मशाला पालीताणा के अध्यक्ष पद एवं श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ भराद् के ट्रस्टी पद पर रह कर आप अपना अपूर्व योगदान सदा देते रहे हैं । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेतांबर पेढी श्री मोहनखेडा तीर्थ के आप प्रमुख ट्रस्टी हैं । परमपूज्य गुरुदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से श्रमण संघ की अध्यापन व्यवस्था में भी आपने अपना असाधारण योगदान दिया हैं। श्री संघ के विकास कार्यों इस प्रकार से सक्रिय सहयोग देने वाले श्रेष्ठिवर्य श्री गगलदासभाई के हम बहुत आभारी हैं । इस केाश के प्रकाशन में हमें आपका अविस्मरणीय सहयोग प्राप्त हुआ हैं । इसी प्रकार श्री सौधर्म वृहत्तपागच्छीय त्रिस्तुतिक संघ ट्रस्ट के ट्रस्टी बंधुआं से भी हमें जो सहयोग प्राप्त हुआ है, वह अविस्मरणीय है । हम उन सबके आभारी हैं । यद्यपि इस कोश के द्वितीय प्रकाशन में सब प्रकार से सावधानी रखी गयी है, फिर भी यदि किमी प्रकार की कोई त्रुटि रह गयी हो, तो उसके लिए हम हार्दिक क्षमायाचना करते हैं । शुभम् - प्रकाशक Jain Education International 卐 For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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