Book Title: Abhidhaappadipika Author(s): Jinvijay Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad View full book textPage 8
________________ तैयार करवामां आव्युं छे; पण प्रत्यन्तर तरीके बंगाली-आवृत्तिने पण सामे राखवामां आवी हती. ___कोषनी रचना-पद्धति अमरकोषादि जेवी न छे. प्रस्तुत संस्करणमां, १ थी ११२ पान सुधी सामान्य शब्दसमूह आवेलो छे; ११३ थी १४५ पानमां अनेकार्थवाचक शब्दो आवेला छे अने १४५ थी १५६ सुधीनां पानमां अव्यय अने उपसर्ग आवेला छे. दरेक पाननी डावी बाजूए, चालू मुख्य पंक्तिमां आवेल पाली शब्दनो अर्थवाचक प्रसिद्ध संस्कृत शब्द आपेल छे. ए शब्द आगळ जे अंक आपेल छे ते समानार्थक पाली शब्दनी संख्या सूचवे छे. एकार्थक शब्दोमी वच्चे (5) आवो स्वरूप-विराम आपवामां आव्यो छे अने भिन्नार्थक शब्दोनी वच्चे (.) आवो पूर्ण-विराम मुक्यो छे. ग्रन्थकारे पादपूर्तिना अर्थे अगर भिन्नार्थक शब्दोनी सूचना अर्थे जे 'च' 'तु'' अथ' इत्यादि शब्दोनो प्रयोग कयों छे तेमने ( ) आवी अर्धवर्तुल रेखावच्चे राखवामां आव्या छे. तेम ज अनेकार्थक-वर्गमांना मुख्य शब्द सिवायना भिन्नार्थक-शब्दोने पण तेवी ज रेसा वच्चे मुक्या छे. . १९७थी १६६ सुधीनां पानाओमां एकाक्षरी कोष आपेलो छे. एना कर्ता कोई सद्धर्मकीर्ति नामना स्थविर छे, जेओ मूळ ब्रह्मदेशना निवासी हता. तेमणे, ए कोषना छेवटे जणान्या प्रमाणे, संस्कृतभाषाना एकाक्षरी कोषनुं आ मात्र पालीमां भाषान्तर कर्यु छे. एना पछी जे विभक्त्यर्थ प्रकरण छे ते पण कोई संस्कृतप्रकरण, भाषान्तर होय तेम जणाय छे अने तेमां कई विभक्ति केटला अर्थमां प्रयुक्त थाय छे ते जणावेलुं छे. छेवटे आपेली अकारादि शब्दानुक्रमणिकामां मूळ पाली शब्द आपेल छे अने तेनी आगळ गाथा या श्लोकनो संख्यांक आपेलो छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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