Book Title: Abhidhaappadipika
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
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अभिधानप्पदीपिका
नामलिंगेसु कोसल्ल-मत्थनिच्छयकारणं । यतो महब्बलं बुद्ध-वचने पाटवत्थिनं ॥
नामलिंगान्यतो बुद्ध-भासितम्सारहानहं । दम्सयन्तो पकासिम्स-मभिधानप्पदीपिकं ॥
भीयो रूपन्तरा साह-चरियेन च कत्थचि । क्वचाहचविधानेन अय्यं थपुिन्नपुंसकं ॥
अभिन्नलिगिनं येव द्वन्दो च लिंगवाचका । गाथापादन्तमझट्ठा पुब्बं यन्त्यपरे परं ।।
पुमित्थियं पदं द्वीसु सब्बलिंगे च तीस्विति । अभिधानन्तरारम्भे अय्यं त्वन्तमथादि च ।।
भीयो पयोगमागम्म सोगते आगमे क्वचि । निघंटु-युत्तिश्चानीय नामलिंग कथीयति ॥
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