Book Title: Abhidhaappadipika
Author(s): Jinvijay
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad

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Page 10
________________ अभिधानप्पदीपिका || नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स ॥ 1 A. P. Jain Education International १ तथागतो यो करुणाकरो करो, पयातमोरसज्ज सुखप्पदं पदं । अका परत्थं कलिसंभवे भवे, नमामि तं केवल दुक्करं करं ॥ २ अपूजयं यं मुनिकुंजरा जरा, रुजादिमुत्ता यहिमुत्तरे तरं । ठिता तिम्बुनिधिन्नरा नरा, तरिंसु तं धम्ममघप्पहं पहं ॥ ३ गतं मुनिन्दो रससूनुतं नुतं, सुपुञखेतं भुवनेसु तं सुतं । गणप पाणी कतसंवरं वरं, सदा गुणोघेन निरन्तरन्तरं ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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