Book Title: Abhidhaappadipika Author(s): Jinvijay Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad View full book textPage 7
________________ प्रस्तावना. गुजरात-विद्यापीठे पोताना महाविद्यालयना अभ्यासक्रममा पाली भाषाने पण खास स्थान आपेलु होवाथी, ए भाषाना अध्ययनअध्यापनमा आवश्यक अने उपयोगी जणाता पुस्तको प्रसिद्ध करवानी फरज पण खास विद्यापीठने शिरेज आवी पडी छे. कारण भारतमा अद्यापि ए भाषाना अभ्यासने विशेष उत्तेजन मळेलुं न होवाथी, ए विषयने लगतां अत्यावश्यक अने प्रारंभिक पुस्तको पण आ देशनी राष्ट्रीय लिपिमा अद्यावधि क्याए अंकित थया नथी. कोई पण भाषाना अध्ययन माटे व्याकरण, वाचनमाळा, अने शब्दकोष ए त्रण साधनोनी आवश्यकता रहे छे. तेथी ए आवश्यकतानी पूर्ति करवाना उद्देशानुसार वाचनमाळाना अंग तरीके पाली पाठावली प्रथम प्रकट थई चुकी छे अने शब्दकोष आजे आ प्रकट थाय छे. संस्कृत भाषा माटे अमरसिंहकृत अमरकोष अने हेमचंद्र कृत अभिधानचिन्तामणि वगेरे, तथा प्राकृतभाषा माटे धनपालकृत प्राकृतलक्ष्मी ( पाइयलच्छी ) आदि, जे जातना प्राचीन शब्दकोषो छे ते ज जातनो पालीभाषा माटे अभिधानप्पदीपिका नामनो प्रस्तुत शब्दकोष छे. ____आ कोषनी रचना मोग्गलान थेर भामना एक सिंहलद्वीप (तिलोन ) निवासी बौद्ध भिक्षुए करेली छे. ए भिक्षु पराक्रमबाहु नामना राजाना राज्यकाळ वखते ( समय इ. स. ११९३, बुद्धनिर्वाणाब्द १६९६ ) विद्यमान हता अने पोलोन्नरुवा नामे नगरमा आवेला जेतवन विहारमा वसता हता. आ संस्करण, मुख्य करीने, सिलोननी राजधानी कोलंबोमां बसता आचार्य समतिजीप संपादित करेजी सिंहल-आपूचिमा आधारे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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