Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh Author(s): Satyanand Sarasvati Publisher: Bihar Yog Vidyalay View full book textPage 7
________________ स्वामी निरंजनानन्द सरस्वती स्वामी निरंजनानन्द का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनाँदगाँव में 1960 में हुआ। 4 वर्ष की अवस्था में बिहार योग विद्यालय आये तथा 10 वर्ष की अवस्था में संन्यास परम्परा में दीक्षित हुए। आश्रमों एवं योग केन्द्रों का विकास करने के लिए उन्होंने 1971 से 11 वर्षों तक अनेक देशों की यात्रा की। 1983 में उन्हें भारत वापस बुलाकर बिहार योग विद्यालय का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अगले 11 वर्षों तक उन्होंने गंगादर्शन, शिवानन्द मठ तथा योग शोध संस्थान के विकास कार्य को दिशा दी। 1990 में वे परमहंस-परम्परा में दीक्षित हुए और 1993 में परमहंस सत्यानन्द के उत्तराधिकारी के रूप में उनका अभिषेक किया गया। 1993 में ही उन्होंने अपने गुरु के संन्यास की स्वर्ण-जयन्ती के उपलक्ष्य में एक विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया। 1994 में उनके मार्गदर्शन में योग-विज्ञान के उच्च अध्ययन के संस्थान, बिहार योग भारती की स्थापना हुई। स्वामी सत्यसंगानन्द सरस्वती स्वामी सत्यसंगानन्द सरस्वती का जन्म चन्द्रनगर (प० बंगाल) में 24 मार्च 1953 को हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् एयर इण्डिया में सेवा प्रारम्भ की एवं सारे विश्व में दूर-दूर तक यात्रायें की। 22 वर्ष की उम्र में स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन एवं दिशा निर्देशों से उन्हें संन्यास मार्ग ग्रहण करने की प्रेरणा मिली। 1981 से वे अपने गुरु के साथ लगातार देश और विदेश में यात्रा करती रहीं। स्वामी सत्संगी की योग एवं तन्त्र परम्परा में एवं आधुनिक विज्ञान एवं दर्शनों में गहरी पैठ है। आज के युग में एक ऐसी महिला संन्यासिनी शायद ही मिलें, जिन्हें व्यावहारिक एवं आधुनिक दृष्टि के साथ-साथ प्राचीन आध्यात्मिक परम्पराओं पर पूर्ण अधिकार हो। रिखिया में शिवानन्द मठ के कार्यकलापों का वे प्रभावी मार्गदर्शन करती हैं तथा रिखिया पंचायत के कमजोर, असुविधाग्रस्त एवं उपेक्षित वर्ग के लिए अथक कार्य करती हैं। .Page Navigation
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