Book Title: Aantardwand
Author(s): Parmatmaprakash Bharilla
Publisher: Hukamchand Bharilla Charitable Trust

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Page 22
________________ दुष्कृत्य के कारण वह असफल घोषित कर दिया गया होगा, सब उनका क्या हुआ होगा, उन पर क्या गुजरी होगी ? अरे सिर्फ वही क्यों ? क्या उनकी आगामी अनगिनत पीढ़ियाँ जीवन के उजालों से वंचित नहीं कर दी गई, अन्धकार के गर्त में नहीं धकेल दी गईं ? उद्गमस्थल पर विद्युत का तार काट दिये जाने पर सम्पूर्ण महानगर अंधकार में डूब जाता है। और वह दुष्कृत्य मैंने जिसके लिए किया था, उसने क्या किया ? वह तो 10 साल में जैसे-तैसे डॉक्टर बनने के बाद अंगूरों के निर्यात के कारोबार में लग गया। __ क्या यह देश व समाज के प्रति मेरी गद्दारी नहीं थी, क्या मैंने अनेकों मरीजों को एक योग्य डॉक्टर की सेवा से वंचित नहीं कर दिया ? जाने वह कितने लोगों की जीवनरक्षा का निमित्त बनता। प्रतिदिन अपने इसीप्रकार के अविचारी कृत्यों द्वारा हम देश व समाज का इतना बड़ा नुकसान कर डालते कि अपना सम्पूर्ण जीवन भी समाजसेवा में झोंककर हम इसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर सकते। __कभी-कभी तो हम अपने इन्हीं कृत्यों को समाजसेवा मान बैठते हैं और इस सबके बदले समाज से अनेकों अभिनन्दन और न जाने क्या-क्या अपेक्षायें करने लगते हैं। क्या यह अनन्त बंध का कारण नहीं होगा? अरे कितने अज्ञ हैं हम! हम स्वयं अपने आपको नहीं जानते; हम स्वयं अपने मनोभावों का विश्लेषण नहीं कर पाते हैं। हम क्या हैं और अपने आपको क्या समझते हैं और स्वयं हमारी निगाहों से ओझल, हमारे अन्दर छुपी हुई हमारी अपनी हीन-वृत्तियाँ किसप्रकार समाज के वातावरण को विषाक्त किया करती हैं, इसकी हमें कल्पना ही नहीं रहती है। ___इसे कुल की मर्यादा के उल्लघंन का डर कहो या दुस्साहस की कमी; कि उन कुकर्मों में मैं स्वयं लिप्त नहीं हुआ, परन्तु अपने ही कॉलेज के साथी मित्रों द्वारा अनेकों नवयौवनाओं के उज्ज्वल जीवन में अनंत अंधकार बिखेर देने के प्रयासों का मैं मूक साक्षी कैसे बनकर रह सका ? - अन्तर्द्वन्द/10

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