Book Title: Aagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्तिः )
मूलं [१५३] / गाथा ||१२४-||
(४५)
प्रत
सूत्रांक
[१५३]
गाथा
अच्छनिउरंगे अच्छनिउरे अउअंगे अउए नउअंगे नए पउअंगे पउए चूलिअंगे चूलिआ सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिआ पलिओवमे सागरोवमे आयसमोआरेणं आयभावे स० तदुभयसमोआरेणं ओसप्पिणीउस्सप्पिणीसु समोयरइ आयभावे अ, ओसप्पिणीउस्सप्पिणीओ आयसमोआरेणं आयभावे०, तदुभयस० पोग्गलपरिअट्टे समो० आयभावे अ, पोग्गलपरिअहे आयसमोआरेणं आयभावे समोयरइ तदुभयस. तीतद्धाअणागतद्धासु समोयरइ आय०, तीतद्धाअणागतद्धाउ आयस. आयभावे. तदुभयसमोआरेणं सव्वद्धाए समोयरइ आयभावे अ । से तं कालसमोआरे। से किं तं भावसमोआरे?, २ दुविहे पण्णत्ते, तं-आय० तदुभयस०, कोहे आय. आयभावे स०, तदु० माणे समो० आयभावे अ, एवं माणे माया लोभे रागे मोहणिजे अट्ट कम्मपयडीओ आयसमोआरेणं आयभावे समोअरइ तदुभयसमोआरेणं छविहे भावे समोपरइ आयभावे अ, एवं छविहे भावे, जीवे जीवत्थिकाए आय
RECASSES
||१||
दीप अनुक्रम [३२२-३२४]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.......आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: ।
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