Book Title: Aagam 41 2 PIND NIRYUKTI Moolam evam Vrutti Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 1
________________ [४१/२] श्रीपिण्डनिर्युक्तिः (मूल)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित- सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः “पिण्डनिर्युक्ति” मूलं एवं वृत्ति: [मूल-निर्युक्तिः + भाष्यं + मलयगिरिसूरि-विरचिता वृत्तिः] [आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ] (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह ) पुनः संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) 23/04/2015, गुरुवार, २०७१ वैशाख सुद ५ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [४१/२] मूल सूत्र -[२/२] "पिण्डनिर्युक्ति" मूलं एवं मलयगिरिसूरि विरचिता वृत्तिः ~0~Page Navigation
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