Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ आगम (४०) "आवश्यक- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-४ अध्ययनं -], नियुक्ति: -, भाष्यं [-], मूलं [-/गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक ECRECEIR दीप अनुक्रम पत्राहा पत्राः नामादिकरणानि, (मा. १५२-१७४)। क्षेत्रकाळकर- | सावद्यार्थः, ( गा. १०५१)। द्रव्यमावयोगाः (गा. | जानि, भावेऽत्र मुतवद्धानिशीथास्यानि,(गा. १०३६)। नोभुतकरणम् , (गा. १०३१)! .. . ५५८ कृताकृतादिद्वारसप्तकम् , (नदिष्टोपदेशादिष)। आलोच- प्रत्याश्याने न्याश्मेिदार, (गा. १०५४)। यावच्छ___ माया नयाः, (गा. १०४० । १७५-१८३ भा.)। ५६५ | दार्थः, (गा. १०५५)। |देशसर्वपातिपाते सामायिक, (गा. १०४१)। ... ५७२ | जीवितनिक्षेपाः, ( गा. १०५६ । १८९-१९० भा.)। ५८० | मयनिक्षेपाः, अन्तं पोढा, (१८४-१८५ भा.)। ... ५७२ सामायिकसूत्रस्याः , सामायिकैकार्थाः निक्षेपा एपाम्, प्रत्याख्याने १४७ महाः (गा. १०५७) । त्रिकालपह| (गा. १०४५) ... ... ... ५७४ पम्, (गा. १०५८)। ... ... ... सामायिकस्य पर्यायाः, कर्तृकर्मकरणविचारः, आत्मा का त्रिविपादेरपुनरुकता, (गा. १०५९)। ... ... ५८३ o रकः, (गा. १०४९) ... ... ... ५७५ सर्वस्य निझेपाः, (गा. १०५०) देवसर्यादि. (मा. न्यमावप्रतिक्रमणोदाहरणे, (गा. १०६०)। निन्या. 1 १८६-१८९ मा.)। ... ... ... १७६ / गईयो, (१०६१-१०६२)। ... ... १८४ अत्र मूल संपादकेन रचित नियुक्ति-आदि-अनुक्रम: दर्शित:, उक्त पत्रांक: मुद्रित प्रतानुसार ज्ञातव्य: ~14~

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