Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ आगम (४०) "आवश्यक- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-३ अध्ययनं -], नियुक्ति: -, भाष्यं [-], मूलं [-/गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक ECRECEIR दीप अनुक्रम पत्राहा पत्राः नामादिकरणानि, (मा. १५२-१७४)। क्षेत्रकाळकर- | सावद्यार्थः, ( गा. १०५१)। द्रव्यमावयोगाः (गा. | जानि, भावेऽत्र मुतवद्धानिशीथास्यानि,(गा. १०३६)। नोभुतकरणम् , (गा. १०३१)! .. . ५५८ कृताकृतादिद्वारसप्तकम् , (नदिष्टोपदेशादिष)। आलोच- प्रत्याश्याने न्याश्मेिदार, (गा. १०५४)। यावच्छ नाया नयाः, (गा. १०४०।१७५-१८३ भा.)। ५६५ ब्दार्थः, (गा. १०५५)। ... ... १७९ |देशसर्वपातिपाते सामायिक, (गा. १०४१)। ... ५७२ | जीवितनिक्षेपाः, ( गा. १०५६ । १८९-१९० भा.)। ५८० | मयनिक्षेपाः, अन्तं पोढा, (१८४-१८५ भा.)। ... ५७२ सामायिकसूत्रस्याः , सामायिकैकार्थाः निक्षेपा एपाम्, प्रत्याख्याने १४७ महाः (गा. १०५७) । त्रिकालपह| (गा. १०४५) ... ... ... ५७४ पम्, (गा. १०५८)। ... ... ... सामायिकस्य पर्यायाः, कर्तृकर्मकरणविचारः, आत्मा का त्रिविपादेरपुनरुकता, (गा. १०५९)। ... ... ५८३ 5 रकः, (गा. १०४९) ... ... ... ५७५ सर्वस्य निझेपाः, (गा. १०५०) देवसर्यादि. (मा. न्यमावप्रतिक्रमणोदाहरणे, (गा. १०६०)। निन्या. 1 १८६-१८९ मा.)। ... ... ... १७६ / गईयो, (१०६१-१०६२)। ... ... १८४ अत्र मूल संपादकेन रचित नियुक्ति-आदि-अनुक्रम: दर्शित:, उक्त पत्रांक: मुद्रित प्रतानुसार ज्ञातव्य: ~150

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 316